Dharmik Katha: नजरिया बदलें, जीवन बदल जाएगा
punjabkesari.in Monday, Jun 20, 2022 - 11:45 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
एक साधु किसी गांव से तीर्थ को जा रहे थे। काफी समय चलने के बाद उन्हें थकान महसूस हुई तो उस गांव में एक बरगद के पेड़ के नीचे जा बैठे। वहीं पास में कुछ मजदूर पत्थर के खम्भे तराश रहे थे। उन्होंने एक मजदूर से पूछा, ‘‘यहां क्या बन रहा है?’’
मजदूर झुंझला कर बोला, ‘‘मालूम नहीं।’’
साधु आगे बढ़े तो दूसरा मजदूर मिला। साधु ने पूछा, ‘‘यहां क्या बनेगा?’’
मजदूर बोला, ‘‘देखिए साधु बाबा, यहां कुछ भी बने। चाहे मंदिर बने या जेल, मुझे क्या? मुझे तो दिन भर की मजदूरी के 100 रुपए मिलते हैं।’’
साधु बिना कुछ बोले आगे बढ़े तो तीसरा मजदूर मिला। साधु ने उससे भी वही प्रश्न पूछा।
उस मजदूर ने कहा कि यहां एक मंदिर बनेगा। इस गांव में कोई बड़ा मंदिर नहीं था। यहां के लोगों को दूसरे गांव में उत्सव मनाने जाना पड़ता था। मैं भी इसी गांव का हूं। ये सारे मजदूर इसी गांव के हैं। मैं एक-एक छैनी चलाकर जब पत्थरों को गढ़ता हूं तो छैनी की आवाज में मुझे मधुर संगीत सुनाई पड़ता है। मेरे लिए यह काम नहीं है, मैं रात को सोता हूं तो मंदिर की कल्पना के साथ और सुबह जगता हूं तो मंदिर के खम्भों को तराशने के लिए चल पड़ता हूं।’’
मजदूर की बात सुन साधु ने अपने शिष्य को कहा, ‘‘यही जीवन का रहस्य है, बस नजरिए का फर्क है। कोई काम को बोझ समझता है तो कोई जीवन का आनंद लेते हुए काम करता है।’’