Dharmik Concept: आत्मज्ञान की प्राप्ति के लिए मस्तिष्क का निर्माल होना अनिवार्य

punjabkesari.in Monday, Jul 18, 2022 - 10:42 AM (IST)

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एक युवक जोकि संगीत में निपुणता प्राप्त करने की इच्छा रखता था, अपने क्षेत्र के सबसे महान संगीताचार्य के पास पहुंचा और उनसे बोला, ‘‘आप संगीत के महान आचार्य हैं और संगीत में निपुणता प्राप्त करने में मेरी गहरी रुचि है। इसलिए आप से निवेदन है कि आप मुझे संगीत की शिक्षा प्रदान करने की कृपा करें।’’

संगीताचार्य ने कहा कि जब तुम्हारी इतनी प्रबल इच्छा है तो आ जाओ, सिखा दूंगा। अब युवक ने आचार्य से पूछा कि इस कार्य के बदले उसे क्या सेवा करनी होगी। आचार्य ने कहा कि कोई खास नहीं मात्र 100 स्वर्ण मुद्राएं मुझे देनी होंगी।

युवकों ने कहा, ‘‘100 स्वर्ण मुद्राएं तो बहुत ज्यादा हैं और मुझे संगीत का थोड़ा-बहुत ज्ञान भी है, पर ठीक है मैं 100 स्वर्ण मुद्राएं आपकी सेवा में प्रस्तुत कर दूंगा।’’ 

इस पर संगीताचार्य ने कहा, ‘‘यदि तुम्हें पहले से संगीत का थोड़ा-बहुत ज्ञान है तब तो तुम्हें 200 स्वर्ण मुद्राएं देनी होंगी।’’ 
 

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युवक ने हैरानी से पूछा, ‘‘आचार्य यह बात तो गणितीय सिद्धांत के अनुकूल नहीं लगती है और मेरी समझ से भी परे है। काम कम होने पर कीमत ज्यादा?’’

आचार्य ने उत्तर दिया, ‘‘काम कम कहां है? 

पहले तुमने जो सीखा है उसे मिटाना, विस्मृत कराना होगा तब फिर नए सिरे से सिखाना प्रारंभ करना पड़ेगा।’’ 

वास्तव में कुछ नया ज्ञान सीखने के लिए सबसे पहले मस्तिष्क को खाली करना, उसे निर्मल करना जरूरी है अन्यथा नया ज्ञान उसमें नहीं समा पाएगा। आत्मज्ञान के लिए तो यह अत्यंत अनिवार्य है क्योंकि पहले से भरे हुए पात्र में कुछ भी और डालना असंभव है।
 


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Content Writer

Jyoti

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