संसार की हर बाजी जीत सकता है ऐसा व्यक्ति, आप में है ये Quality

punjabkesari.in Tuesday, Nov 08, 2022 - 08:29 AM (IST)

 शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Debate between shankaracharya and mandan mishra: बहुत समय पहले आदि शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच सोलह दिन तक लगातार शास्त्रार्थ चला। शास्त्रार्थ की निर्णायक थीं मंडन मिश्र की धर्मपत्नी देवी भारती। हार जीत का निर्णय होना बाकी था। इसी बीच देवी भारती को किसी आवश्यक कार्य से कुछ समय के लिए बाहर जाना पड़ गया। जाने से पहले देवी भारती ने दोनों ही विद्वानों के गले में एक-एक फूलमाला डालते हुए कहा-ये दोनों मालाएं मेरी अनुपस्थिति में आपके हार और जीत का फैसला करेंगी। यह कह कर देवी भारती वहां से चली गई।

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Mandan mishra and adi shankaracharya: शास्त्रार्थ की प्रक्रिया आगे चलती रही। कुछ देर बाद देवी भारती अपना कार्य पूरा करके लौट आईं। उन्होंने अपनी निर्णायक नजरों से शंकराचार्य और मंडन मिश्र को बारी-बारी से देखा और अपना निर्णय सुना दिया। उनके फैसले के अनुसार आदि शंकराचार्य विजयी घोषित किए गए और उनके पति मंडन मिश्र की पराजय हुई थी। सभी लोग ये देख कर हैरान हो गए कि बिना किसी आधार के इस विदुषी ने अपने पति को ही पराजित करार दे दिया।
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Bharati and adi Shankaracharya: एक विद्वान ने पूछा देवी आप तो शास्त्रार्थ के मध्य ही चली गई थीं फिर वापस लौटते ही आपने ऐसा फैसला कैसे दे दिया? देवी भारती ने कहा, जब भी कोई विद्वान शास्त्रार्थ में पराजित होने लगता है तो वह क्रोधित हो उठता है और मेरे पति के गले की माला उनके क्रोध की ताप से सूख चुकी है जबकि शंकराचार्य जी की माला के फूल अभी भी पहले की भांति ताजे हैं। इससे ज्ञात होता है कि शंकराचार्य की विजय हुई है। विदुषी देवी भारती का फैसला सुनकर सभी दंग रह गए, सबने उनकी काफी प्रशंसा की।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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