Vastu में भी गाय को माना जाता है Lucky
punjabkesari.in Monday, Feb 01, 2021 - 04:18 PM (IST)

हिंदू धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया जाता है। वहीं पौराणिक कथाओं के अनुसार देवताओं और असुरों के बीच हुए समुद्र मंथन से निकले 14 रत्नों में से एक कामधेनु गाय भी थी। प्राचीन काल से ही भारत में गोधन को मुख्य धन मानते आए हैं और हर प्रकार से गौरक्षा, गौसेवा एवं गौपालन पर ज़ोर दिया जाता है। हमारे हिन्दू शास्त्रों, वेदों में गौरक्षा, गौ महिमा, गौ पालन आदि के प्रसंग भी अधिक मिलते हैं। रामायण, महाभारत, भगवद् गीता में भी गाय का किसी न किसी रूप में उल्लेख मिलता है। चलिए जानते हैं वास्तु में गाय का महत्व क्या है।
जहां सनातन धर्म में गाय को इतना पूजनीय माना जाता है। तो वहीं वास्तुशास्त्र के अनुसार परिवार में सुख-सौभाग्य की बढ़ाने के लिए गाय रखना उचित होता है। वास्तु में बताया गया है कि बछड़े को दूध पिला रही गाय के प्रतीक को घर में स्थापित करने से योग्य संतान की प्राप्ति होती है और साथ ही माता-पिता व संतान में परस्पर प्रेम बना रहता है। वहीं पढ़ाई में एकाग्रता बढ़ाने के लिए छात्रों के स्टडी टेबल पर गाय का प्रतीक रखना अच्छे परिणाम देता है।
कहते हैं कि जब घर का निर्माण करना हो तो वहां बछड़े वाली गाय को लाकर अगर बांध दिया जाए तो वहां मौजूद वास्तु दोष दूर हो जाता है। और बिना किसी बाधा के सारे कार्य पूरे हो जाते हैं।माना जाता है कि दक्षिण-पूर्व जोन में जमीन पर गाय का प्रतीक लगाने से दुःख व मन की परेशानियां दूर होती हैं।
देवताओं को यज्ञ में दी जाने वाली प्रत्येक आहुति गाय के घी से देने की परंपरा है। जिससे सूर्य की किरणों को विशेष ऊर्जा मिलती है। यही विशेष ऊर्जा वर्षा का कारण बनती है। वर्षा से ही अन्न, पेड़-पौधों आदि को जीवन प्राप्त होता है।
ज्योतिष और धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि विवाह जैसे मंगल कार्यों के लिए गोधूलि बेला सर्वोत्तम मुहूर्त होता है। संध्या काल में जब गाय जंगल से घास आदि खाकर आती है। तब गाय के खुरों से उड़ने वाली धूल समस्त पापों का नाश करती है।