शादीशुदा जीवन को बनाने चाहते हैं स्वर्ग तो ये जानकारी आप ही के लिए है, जल्दी करें क्लिक
punjabkesari.in Wednesday, Oct 26, 2022 - 01:11 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
कहा जाता है प्रत्येक घर की सुख-समृद्धि या कहें बरकत पति-पत्नी के रिश्ते पर निर्भर होती है। आचार्य चाणक्य के अनुसार जिस घर में पति-पत्नी के बीच का रिश्ता मिठास भरा होता है वहां कभी किसी प्रकार की कमी नहीं होती। परंतु वहीं इसके विपरीत जिस घर में पति पत्नी के बीच किसी प्रकार की अनबन रहती हो या रिश्ता कमज़ोर हो रहा हो तो न केवल घर उनके बीच बल्कि पूरे घर में तनाव भरा वातावरण पैदा हो जाता है। तो वहीं शास्त्रों में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि घर की बहु को लक्ष्मी का रूप माना गया है। अगर वो घर में खुश न हो तो घर में न तो सुख न ही समृद्धि। तो आखिर शादीशुदा जिंदगी मे वो कौन से चीज़ें होती है जिससे रिश्ता मज़बूत होता है?
ठहरिए इसके लिए आपको अपने दिमाग को अधिक दौड़ाने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि हम आपके लिए इससे ही जुड़ी खास जानकारी लाए हैं। दरअसल आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में शादीशुदा जीवन से जुड़ी ऐसी 3 चीज़ों के बारे में बताई है जिससे पति-पत्नी के लिए धरती पर ही स्वर्ग बन जाता है। आइए जानते हैं क्या है वो चीज़ें-
शांत मन
नीतिकार चाणक्य के अनुसार हर बड़ी से बड़ी समस्या का हल शांति के निकाला जा सकता है। कहा जाता है जब व्यक्ति का मन शांत होता है तो उसके लिए अच्छे और बुरे का अंतर करना आसान हो जाता है.। तो वहीं गुस्से में व्यक्ति न केवल अपना बल्कि अपने साथ वालों का भी नुकसान करता है। अतः चाण्क्य कहके हैं कि खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए सबसे जरूरी है मानसिक शांति। इससे पति-पत्नी के रिश्ते में सामंजय बन रहता है तथा एक दूसरे को समझने में आसानी होती है।
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समानता
आचार्य का मानना है कि पति-पत्नी के बीच समानता है होना अति आवश्यक होता है। दांपतय जीवन में पति-पत्नी को एक दूसरे को एक समान सम्मान देना चाहिए। इससे रिश्ते में कभी किसी प्रकार की दरार नहीं आती है। अतः पति-पत्नी को कभी अपने बीच अंहकार नहीं लाना चाहिए।
संतुष्ट
चाणक्य की मानें तो घर को स्वर्ग बनाने की सबसे पहली सीढ़ी होती है संतुष्टि। अर्थात जितना प्राप्त है उतना पर्याप्त है। कहा जाता प्रत्येक व्यक्ति के लिए शादीशुदा जीवन को लिए सुखमय बनाने के लिए संतुष्टि रामबाण है। चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में कहा है घर बाहर को चलाने के लिए पैसों का मैनेजमेंट जरूरी है, परंतु इसका अर्थ ये नहीं है कि एक-दूसरे की जरूरतो को पूरी न किया जाए। अतः खुद को समय के हिसाब से ढालें।
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