Chaitra Navratri 2020: इस दिशा में करें कलश स्थापना

punjabkesari.in Monday, Mar 23, 2020 - 02:45 PM (IST)

नवरात्रि के दिनों का इंतजार हर माता के भक्त को होता है और इसके लिए हर भक्त पहले से ही बहुत तैयारियां करता है। हर व्यक्ति नौ दिनों में जगतजननी मां की आराधना बड़े ही उत्साह के साथ करता है। लेकिन नवरात्रि के दौरान बहुत से लोग पूजा के नियमों को भूल जाते हैं और जाने-अंजाने में ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जिनका खामियाज़ा उन्हें भुगतना करना पड़ता है। आज हम आपको वास्तु के कुछ नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप भी मां दुर्गा को प्रसन्न कर सकते हैं।

सही दिशा का चुनाव 
वास्तु के अनुसार मानसिक स्पष्टता और प्रज्ञा की दिशा ईशान कोण यानि कि उत्तर-पूर्व दिशा को पूजा-पाठ के लिए श्रेष्ठ माना गया है। कहते हैं कि यहां पूजा करने से शुभ फलों में वृद्धि होती है और आपको हमेशा ईश्वर का मार्गदर्शन मिलता रहता है। देवी मां का क्षेत्र दक्षिण और पूर्व दिशा मानी गई है इसलिए यह ध्यान रहे कि पूजा करते वक्त आराधक का मुख दक्षिण या पूर्व में ही रहे।

पूजन कक्ष
ध्यान रहे कि पूजन कक्ष साफ़-सुथरा हो और उसकी दीवारें हल्के पीले, गुलाबी, हरे या बैंगनी जैसे आध्यात्मिक रंग की हो तो अच्छा है, क्योंकि ये रंग आध्यात्मिक ऊर्जा के स्तर को बढ़ाते हैं। इसके साथ ही काले, नीले और भूरे जैसे तामसिक रंगों का प्रयोग पूजा कक्ष की दीवारों पर नहीं होना चाहिए।

कलश पूजन की दिशा
धर्म शास्त्रों के अनुसार कलश को सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है। वास्तु के अनुसार ईशान कोण यानि उत्तर-पूर्व जल एवं ईश्वर का स्थान माना गया है और यहां सर्वाधिक सकारात्मक ऊर्जा रहती है। इसलिए पूजा करते समय माता की प्रतिमा या कलश की स्थापना इसी दिशा में करनी चाहिए। देवी पूजा-अनुष्ठान के दौरान मुख्य द्वार पर आम या अशोक के पत्तों की बंदनवार लगाने से घर में नकारात्मक शक्तियां प्रवेश नहीं करती।


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