Chaitra Kalashtami: कालाष्टमी पर भैरव बाबा को करें प्रसन्न, गुप्त रोगों का होगा अंत
punjabkesari.in Friday, Mar 21, 2025 - 02:09 PM (IST)

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Chaitra Kalashtami 2025: कालाष्टमी का पर्व विशेष रूप से काल भैरव की पूजा के लिए होता है। जो भगवान शिव के आठवें रूप में माने जाते हैं। काल भैरव का रूप डरावना और शक्तिशाली होता है और वे काल के रक्षक के रूप में पूजे जाते हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि वे उन सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश करते हैं, जो व्यक्ति के जीवन में विघ्न डालती हैं और बुराई का रूप धारण करती हैं। यही कारण है कि इस दिन विशेष रूप से काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सभी प्रकार के भय और संकट दूर होते हैं।
काल भैरव को मृत्यु का देवता माना जाता है क्योंकि वे काल के अधिपति हैं। इस दिन उनकी पूजा से मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। साथ ही यह दिन व्यक्ति के पापों के नाश के लिए भी विशेष माना जाता है। काल भैरव की पूजा करने से आत्मा की शुद्धि होती है और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।
Kalashtami Shubh muhurat कालाष्टमी शुभ मुहूर्त: चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 मार्च की प्रात: 4:23 पर शुरू होगी और अगले दिन 5:23 पर समाप्त होगी। निशा काल में भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है। 22 मार्च को चैत्र माह में आने वाली कालाष्टमी की पूजा की जाएगी।
Kalashtami puja कालाष्टमी पूजा: कालाष्टमी पर बाबा भैरव के विधिवत व्रत, पूजन व उपाय से दांपत्य संबंध मधुर होते हैं, प्रेम में सफलता मिलती है, गुप्त रोगों का निदान होता है। काल भैरव की पूजा करने से शनि के अशुभ प्रभाव भी शुभता में परिवर्तित होने शुरु हो जाते हैं। चैत्र कालाष्टमी पर बाबा भैरव का पूजन अबीर व इत्र से करें।
Kalashtami Puja vidhi: कालाष्टमी पूजा विधि: घर की वायव्य दिशा में गुलाबी वस्त्र पर भैरव का चित्र स्थापित करके विधिवत पूजन करें। सुगंधित तेल का दीप करें, गुलाब की अगरबत्ती से धूप करें, गुलाबी फूल चढ़ाएं, अबीर चढ़ाएं, इत्र चढ़ाएं, मीठे चावल का भोग लगाएं तथा इस विशेष मंत्र का 1 माला जाप करें। पूजन के बाद भोग कुत्ते को खिलाएं।
Kalashtami Puja Mantra कालाष्टमी पूजा मंत्र: ॐ उमानंद भैरवाय नमः॥
Kalashtami remedies कालाष्टमी उपाय
गुप्त रोगों के निदान हेतु दही-शक्कर के घोल में अपनी छाया देखकर कुत्ते को खिलाएं।
मधुर दांपत्य संबंध बनाने हेतु भैरव पर चढ़ा इत्र बेडरूम में छिड़कें।
प्रेम में सफलता हेतु प्रेमी का नाम लेते हुए चमेली के तेल का पंचमुखी दीपक रात्रि में चौराहे पर जलाएं।