Bhanu Saptami: भानु सप्तमी पर करें ये काम, समाज में बढ़ेगा मान-सम्मान

punjabkesari.in Sunday, Jun 25, 2023 - 07:29 AM (IST)

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Bhanu Saptami 2023: प्रत्यक्ष दर्शन किये जाने वाले एकमात्र प्रत्यक्ष देवता सूर्य देव हैं, जिनकी कृपा से धरती पर जीवन संभव हो पाया है। सूर्यदेव की ही कृपा के कारण धरती पर अन्न उत्पन्न होता है। जिसको ग्रहण कर सभी जीवों का भरण-पोषण होता है। सौरमंडल, भूमंडल एवं पाताललोक की घटनाओं पर भी सूर्य का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव पड़ता है। हमारा आज का विज्ञान यह मानता है कि सूर्य के बिना जीवन संभव नहीं है। सूर्यदेव ऊर्जा के सबसे बड़े स्त्रोत हैं, इनकी उपासना से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

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Bhanu Saptami Date: वहीं दूसरी और महार्षि भृगु जी के द्वारा रचित ज्योतिष महाविज्ञान में सूर्य को आत्मा का और शारीरिक तुदुरूस्ती, आत्मबल, मुखमंडल का तेज, आघ्यात्मिक उन्नति, तरक्की एवं पुत्र संतान सुख इत्यादि अनेक कारकों का कारण बताया गया है। जब सप्तमी रविवार के दिन होती है तो उस दिन को भानु सप्तमी कहा जाता है, फिर चाहे वह सप्तमी कृष्ण पक्ष में हो या शुक्ल पक्ष में। जून 2023 में भानु सप्तमी 25 जून 2023 के दिन रविवार को है। इस दिन सप्तमी तिथि उदयातिथ्यानुसार प्रातः सूर्योदय से लेकर रात्रि 12 बजकर 26 मिनट तक रहेगी।  

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Significance of Bhanu Saptami: भानु सप्तमी के ही दिन सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर संवार होकर प्रकट हुए थे और सर्वप्रथम इसी ही दिन धरतीलोक पर उन्होंने अपना प्रकाश भेजा था और धरती लोक से अंधेरा हटा था और पृथ्वी प्रकाशमान हुई थी। उस दिन रविवार का दिन था। इसी कारण रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित होता है और सूर्य को ग्रहों का राजा भी कहा जाता है। यह सभी ग्रहों के मध्य में स्थित हैं तथा सभी ग्रह ब्रह्मांड में इनके चारों और अपनी अपनी धुरी पर घूमते हुए इनके चक्कर लगाते हैं। इस दिन जब सूर्य की किरणें सूर्य यंत्र पर पड़ती हैं तो महाभिषेक करने का भी विधान है।

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Bhanu Saptami upay: इस दिन भक्तगण सूर्यदेव की कृपा प्राप्त करने के लिये विभिन्न प्रकार की पूजा-अर्चणा एवं प्रयोग करते हैं। इस दिन व्यक्ति को आदित्य हृदयं स्त्रोत या सूर्य स्त्रोत का पाठ करना या सुनना चाहिए। जिसके प्रभाव से शरीर में एक ऐसी उर्जा का संचरण होता है, जिससे इन्सानी शरीर में आत्मबल व शरीर को निरोगी रखने की उर्जा उत्पन्न होती है। इस दिन सूर्योदय के साथ उठकर स्नान इत्यादि के पश्चात सूर्य को जल देना चाहिए तथा जल की धार में से सूर्यदेव के दर्शन करने चाहिए तथा जो जल नीचे गिर जाता है उसे अपनी रिंग फिंगर कहें या सूर्य अंगुली/अनामिका अंगुली से जल लेकर अपने माथे पर सूर्यदेव का आर्शीवाद मानकर तिलक करना चाहिए। इस उपाय को निरंतर करने से आपका तप तेज भक्ति में उन्नति होगी और जिसके फलस्वरूप समाज में आपका मान-सम्मान बढ़ेगा और निरंतर निरोगी होकर तरक्की करते रहेंगे। इसके साथ-साथ आप इस मंत्र का भी जाप कर सकते हैं।

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 Surya mantra सूर्य मंत्र- ॐ सूर्याय नमः ॐ भानवे नमः

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Sanjay Dara SinghAstroGem Scientists
LLB., Graduate Gemologist GIA (Gemological Institute of America), Astrology, Numerology and Vastu (SSM)

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Content Writer

Niyati Bhandari

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