Bhalchandra Sankashti Chaturthi: आज मनाई जाएगी भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

punjabkesari.in Thursday, Mar 28, 2024 - 06:52 AM (IST)

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Bhalchandra Sankashti Chaturthi 2024: हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का बहुत महत्व है। भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी का व्रत चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। हर महीने में दो चतुर्थी तिथि आती हैं। एक शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष की चतुर्थी। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन गणेश जी और चंद्रमा की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन गणेश जी की पूरे विधि-विधान से पूजा करने से जीवन में आने वाली हर परेशानी से छुटकारा मिलता है। साथ ही मन की हर मनोकामना पूरी होती है। तो आइए भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी की डेट, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में जानते हैं-

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Bhalchandra Sankashti Chaturthi Date 2024 भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी डेट 2024
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 28 मार्च को शाम 6 बजकर 56 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन 29 मार्च को रात 8 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगा। चंद्रोदय समय के आधार पर भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी का व्रत 28 मार्च गुरुवार को रखा जाएगा।  

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Bhalchandra Sankashti Chaturthi 2024 auspicious time भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 2024 शुभ मुहूर्त
8 मार्च को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी पर गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात:काल में सूर्योदय से लेकर सुबह 07:48 बजे तक रहेगा। उस दिन सूर्योदय सुबह सवा 6 बजे होगा। इस समय में शुभ उत्तम मुहूर्त भी होगा। इसके अलावा दोपहर 12 बजकर 26 मिनट से दोपहर 03 बजकर 32 मिनट तक शुभ समय रहेगा। उस दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 01 मिनट से दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। ब्रह्म मुहूर्त प्रात: 04 बजकर 42 मिनट से प्रातः 05 बजकर 29 मिनट तक है।

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Bhalchandra Sankashti Chaturthi significance भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी महत्व
सनातन धर्म में गणेश को प्रथम पूजनीय देवता माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करने से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा करने से जीवन में आने वाली हर परेशानी से छुटकारा मिलता है। साथ ही यश, धन और वैभव की प्राप्ति होती है। चंद्र देव की पूजा करते समय महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र की कामना करती हैं। बप्पा और चंद्र देव को खुश करने के लिए उपवास रखा जाता है और चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत खोला जाता है।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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