Belpatra: शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते समय रखें ध्यान, तभी मिलेगा पूजा का पूरा लाभ

punjabkesari.in Monday, Jul 29, 2024 - 03:22 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

How to offer bel patra on shivling: भगवान शिव को सावन मास बहुत ही प्रिय है। अन्य दिनों की अपेक्षा श्रावण मास में शिव जी की पूजा विशेष लाभ देती है। माना जाता है कि इस माह भगवान शिव की नजर अपने भक्तों पर सीधी बनी रहती है, वो उनकी हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। सावन में शिवलिंग पर दूध, जल, पंचामृत के अलावा बेलपत्र चढ़ाने का खास महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बेलपत्र को शिव जी के तीनों नेत्रों का प्रतीक माना जाता है। भोलेनाथ को बेलपत्र चढ़ाने से घर में सुख-समृद्धि, शांति और शीतलता बनी रहती है। इस बात का ध्यान रखें कि किसी भी खास मौके जैसे संक्रांति, सोमवार, चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथि पर बेलपत्र नहीं तोड़ने चाहिए। बेलपत्र को टहनी के साथ न तोड़ें। इसके अलावा इसे शिवलिंग पर चढ़ाते समय तीन पत्तियों की डंठल को तोड़कर ही भगवान शिव को अर्पण करना चाहिए। अगर आप भी सावन मास में भोलेनाथ को बेलपत्र चढ़ाते हैं तो इन मंत्रों को बोलते हुए शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाएं-

PunjabKesari belpatra

Belpatra mantra बेलपत्र चढ़ाने का मंत्र
नमो बिल्ल्मिने च कवचिने च नमो वर्म्मिणे च वरूथिने च
नमः श्रुताय च श्रुतसेनाय च नमो
दुन्दुब्भ्याय चा हनन्न्याय च नमो घृश्णवे॥

दर्शनं बिल्वपत्रस्य स्पर्शनम्‌ पापनाशनम्‌ ।
अघोर पाप संहारं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्‌ ॥

त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुधम्‌ ।
त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्‌ ॥

अखण्डै बिल्वपत्रैश्च पूजये शिव शंकरम्‌ ।
कोटिकन्या महादानं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्‌ ॥

गृहाण बिल्व पत्राणि सपुश्पाणि महेश्वर ।
सुगन्धीनि भवानीश शिवत्वंकुसुम प्रिय ॥

PunjabKesari belpatra

Why are belpatra offered to Lord Shiva शिव जी को बेलपत्र क्यों चढ़ाए जाते हैं?
शिव जी को बेलपत्र चढ़ाने के पीछे एक दिलचस्प कथा है, जब समुद्र मंथन हुआ तो उसमें से हलाहल विष निकला था। जिससे पूरी सृष्टि में कोहरम मच गया। सृष्टि को इस हाल में देखकर, सभी देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की तो महादेव ने सारा हलाहल विष पिकर अपने कंठ में रख लिया। इस विष के कारण महादेव के पूरे गले में गमर्हाट पैदा हो गई। जिससे उनका गला जलने लगा। इस विष के प्रभाव को खत्म करने के लिए देवताओं ने भगवान शिव को जल चढ़ाया और उनके मस्तिष्क को शीतल करने के लिए बेलपत्र चढ़ाए। तभी से भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा का आरंभ हुआ।

PunjabKesari belpatra

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Related News