करिश्माई ताकत होने पर भी हनुमान जी लंका से सीता माता को क्यों नहीं लाए?

punjabkesari.in Monday, Jul 20, 2015 - 11:33 AM (IST)

हनुमान जी भगवान शिव के अवतार माने जाते हैं और पृथ्वी के साक्षात भगवान सूर्य देव के शिष्य हैं। सूर्य देव से ज्ञान प्राप्त करके हनुमान जी ने अष्टसिद्घियां हासिल की थी। यही आठ सिद्घियां हनुमान जी की ताकत हैं। बलवानों में भी अगर कोई महाबलवान है तो वह हैं हनुमान जी। वह इतने ताकतवर थे की संसार की कोई भी ताकत उन्हें परास्त नहीं कर सकती थी। 

सीता माता को खोजते हुए जब हनुमान जी लंका पहुंचे तो अशोक वाटिका में सीता जी को देखते ही उनकी इच्छा हुई कि अभी उन्हें अपनी पीठ पर बिठा कर समुद्र के उस पार श्रीराम के पास ले चलें। हनुमान जी ने सीता माता से कहा," आप मेरी पीठ पर बैठें मैं आपको अभी प्रभु श्रीराम के पास ले चलता हूं।"

सीता माता ने कहा कि,  "अपहरण के समय विवशता के कारण मुझे रावण का स्पर्श सहन करना पड़ा। अब मैं जान-बुझकर तुम्हारा स्पर्श नहीं कर सकती।"

सती साध्वी सीता जी का अंत करण बहुत पवित्र था तभी तो उन्हें अग्नि भी जला नहीं सकी।

फिर हनुमान जी ने विचार किया की कहीं ऐसा न हो सीता माता कहीं मेरे तीव्र वेग से उड़ने के कारण समुद्र में गिर पड़ें। दूसरे नारी को परपुरूष की पीठ पर नहीं बैठना चाहिए, तीसरे सीता जी को तो असुर संहार रूपी राम लीला की पुष्टि करनी हैं वे भला क्यों वापिस जाना चाहेंगी? उनके वापिस चले जाने पर असुर संहार का कारण ही खत्म हो जाएगा। चौथे राम जी की आज्ञा नहीं थी की वह सीता जी को अपने साथ ले आएं। अत: सीता माता को वापिस लाने का विचार हनुमान जी ने दिल से निकाल दिया।


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