जीवन की नई कड़ी शुरु करने से पहले दर्शन करें इस मंदिर के

punjabkesari.in Thursday, Mar 26, 2015 - 01:55 PM (IST)

नूंह (दिनेश): जिला मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर दूर अरावली की वादियों में स्थित गहबर गांव में स्थापित प्राचीन मनसा देवी मंदिर की मान्यता मेवात में ही नहीं बल्कि आसपास के प्रदेशों में भी है। नवरात्रों में दुर्गाष्टमी के मौके पर यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आकर मां के दरबार में माथा टेकते हैं। 

अरावली की तलहटी में समाया यह मंदिर, प्रकृति व भक्ति का अनूठा संगम है। यहां अरावली की ठंडक मन को शांति प्रदान करती है तो मंदिर की ध्वनी भक्तों को आत्मिक संतुष्टि प्रदान करती है। यहां दुनिया की भागमभाग से अलग हट कर प्रदुषण रहित शांत वातावरण की ओर भक्तों का मन बरबस ही खिंचा चला आता है। 

दुर्गाष्टमी के अवसर पर यहां मेला लगता है। जिसे चैती का मेला भी कहते हैं। मेले में हरियाणा के अलावा दिल्ली, राजस्थान तथा उत्तरप्रदेश से भी श्रद्धालु आकर माता के दर्शन करते हैं। सोमवार को नवविवाहित जोड़े मंदिर में अपने जीवन की नई कड़ी शुरु करने से पहले मां के दरबार में माथा टेकते हैं। वहीं इस मौके पर यहां नवजात शिशुओं का मुंडन भी किया जाता है।

मंदिर की प्रबंधक समिति के सदस्य कुन्दनलाल शास्त्रि, कमलकान्त, प्रभूदयाल, कमलकांत व बाबूराम ने बताया कि इस मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है। ग्रामीणों के मुताबिक मंदिर की स्थापना करीब 20 पीढ़ी पहले हुई थी। ग्रामीणों के मुताबिक हजारों साल पहले यह मंदिर अरावली की दूसरी ओर स्थित गांव इंदोर (राजस्थान) में स्थापित था। गांव के सभी श्रद्धालु प्रतिदिन अरावली पार कर मंदिर में पूजा करने जाते थे। भक्तों की परेशानी को देखते हुए माता की मूर्ती गहबर गांव में स्थापित हो गई। मंदिर में स्थापित माता की मूर्ती पंच जोत है। मूर्ती की स्थापना होने के बाद उस समय के एक जमादार ने मंदिर का भवन बनवाया था। जो हजारों साल बाद भी आज तक स्थापित है।

कैसे पहुंचे मंदिर तक: जिला मुख्यालय नूंह से खेड़ला रोड पर चलते समय करीब तीन किलोमीटर आगे चल कर बडोजी गांव के लिए जाएं। यहां से करीब दो किलोमीटर आगे चल कर एक रास्ता सीधा मनसा देवी माता मंदिर के लिए जाता है।

27 मार्च को लगेगा मेला: पुजारी प्रभुदयाल ने बताया कि 27 मार्च को दुर्गाष्टमी के मौके पर मंदिर में एक भव्य मेला लगेगा। जिसमें दूर-दराज के भक्त अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए माता के दरबार में माथा टेकेंगे।

 

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