समाज में अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए दूसरों के साथ कैसा रिश्ता बनाएं

punjabkesari.in Thursday, Mar 12, 2015 - 01:25 PM (IST)

मनुष्य सामाजिक प्राणी है। समाज में उसका व्यवहार ही घर-परिवार और सगे- संबंधियों में उसकी प्रतिष्ठा को स्थापित करता है। समाज में अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए दूसरों के साथ कैसा रिश्ता स्थापित करना चाहिए? इस विषय में आचार्य चाणक्य कहते हैं की- 

यत्रोदकस्तत्र वसन्ति हंसा स्तथैव शुष्कं परिवर्जयन्ति।

न हंसतुल्येन नरेण भाव्यं पुनस्त्यजन्त: पुनराश्रयन्त:।। 

जिस जगह जल होता है, हंस उसी स्थान पर निवास करते हैं। हंस उस जगह को उसी समय त्याग देते हैं जहां पानी न हो। व्यक्ति को भी हंस जैसे स्वभाव वाला होना चाहिए।

जीवन में जैसी भी परिस्थितियां हों कभी भी अपने घर-परिवार और सगे-संबंधियों का त्याग नहीं करना चाहिए जैसे हंस जल रहित स्थान का तुरंत त्याग कर देते हैं। मनुष्य को भी उनके इस स्वभाव से सीख लेते हुए ऐसे स्थान पर कभी जीवन यापन नहीं करना चाहिए जहां अपनों का साथ न हो चाहे वह वहां बरसों से रह रहे हों।


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