Smile please: मैं और मेरा, तू और तेरा यही माया जाल है
punjabkesari.in Thursday, Aug 26, 2021 - 08:49 AM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
तुम्हारा जन्म नर से नारायण बनने के लिए हुआ है। परमात्मा तुम्हारे अंदर है जिसे तुम बाहर खोज रहे हो। आप दुख भोगने के लिए पैदा नहीं हुए। अपने अंदर आत्मविश्वास पैदा करो और उठो, आगे बढ़ो। सफलता तुम्हारी राह देख रही है। —अवधूत शिवानंद
जंगल में आग लगी हुई थी। सब बड़े-बड़े जानवर खड़े तमाशा देख रहे थे पर एक छोटी चिडिय़ा बार-बार उड़ कर तालाब से अपनी चोंच में एक बूंद पानी भर लाती और आग पर डाल देती। बड़े जानवरों ने कहा तू समझती है तेरी एक बूंद से आग बुझ जाएगी। चिड़िया ने कहा कि मैं आग बुझाने का प्रयास नहीं कर रही, मैं तो तुम्हें जगाने का प्रयास कर रही हूं। —हेमलता शास्त्री
हम सबने सुन रखा है कि स्वर्ग ऊपर और नरक धरती के नीचे है तो क्यों न हम जीते जी धरती पर स्वर्ग बनाने की कोशिश करें। घर-परिवार में अमृत रस घोलें। परिवार में सब मिल कर रहना सीखें। धन, यश तो अपने आप घर में आना शुरू हो जाएगा। घर में बरकत बनी रहेगी। —राष्ट्र संत चंद्रप्रभ
लक्ष्मण ने प्रभु श्री राम जी से कहा, ‘‘प्रभु ईश्वर और जीव का भेद समझा कर कहिए जिससे मन-चित्त-बुद्धि आपके चरणों में प्रीति बनी रहे। शोक-मोह तथा भ्रम नष्ट हो।’’ प्रभु श्रीराम जी ने कहा, ‘‘लक्ष्मण ध्यान से सुनो। मैं और मेरा, तू और तेरा यही माया जाल है जिसने समस्त जीवों को अपने वश में कर रखा है।’’ —श्री रामायण जी
एक हाथ में जीवन है, दूसरे हाथ में जीविका है। ये दो जलते दीपकों की तरह हैं। इनमें से तेल छलक न जाए। वैसे भी रास्ता कंटीला है, पथरीला है। ऐसे में हमें सतर्कता से चलना होगा। —विजय शंकर