इस मंदिर में लगती है देवताओं की विधानसभा!
punjabkesari.in Thursday, Dec 10, 2020 - 11:54 AM (IST)

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भारत देश एकमात्रा ऐसा देशा माना जाता है जहां अनगिनत संख्या में सनातन धर्म के देवी-देवताओं के मंदिर स्थापित हैं। इन तमाम मंदिरों का रहस्य किसी न किसी देवी-देवता से जुड़े होने के कारण ये न केवल देश में बल्कि विदेशों में प्रसिद्ध माने जाते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे जुड़ा हुआ रहस्य कुछ ऐसा ही है। जी हां, जिस मंदिर की हम बात कर रहे हैं उसे मंदिर को देवताओं की विधानसभा कहा जाता है। आप ने बिल्कुल सही पढ़ा, चाहे पढ़ने सुनने में आपको अजीब लगे मगर यहां की प्रचलित मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर को यहां यही कहा जाता है।
तो वही इस देवों के देव महादेव के प्रमुख 108 ज्योर्तिलिंगों में से भी एक माना जाता है। इसके अलावा इस मंदिर के ठीक आगे गुरु गोरखनाथ की धुनी भी है, जो कि लगातार जलती हैं। साथ ही मंदिर प्रांगण में अन्य धुनी भी है, जिसके समक्ष जागर भी लगती है। कहा जाता है यह पूजा देवताओं को बुलाने के लिए की जाती है।
बता दें जिस मंदिर की हम बात कर रहे हैं वो मंदिर देवभूमि उत्तराखंज के चंपावत जिले में स्थित है, जिसे ब्यानधुरा मंदिर के नाम से जाना जाता है। जंगल के बीचो-बीच में पहाड़ी की चोटी पर नैनीताल और चंपावत की सीमा रोड से 35 कि.मी की दूर पर ब्यानधुरा नामक क्षेत्र में ये मंदिर बसा हुआ है।
यहां की मान्यताओं के अनुसार ब्यानधुरा शब्द का अर्थ है बाण की चोटी। बताया जाता है कि जिस पहाड़ी की चोटी पर यह मंदिर स्थित है, उसका आकार धनुष के समान हैं। यूं तो देवभूमि उत्तराखंड में कई मंदिर आदि हैं, मगर इस मंदिर की बात थोड़ी अलग मालूम होती है। इसका कारण इससे जुड़ी मान्यताएं। जी हां, इस मंदिर की सबसे खास बात ये है कि यहां लोग मन्नत पूरी होने पर प्रसाद नहीं बल्कि धनुष-बाण आदि चढ़ाते हैं। जिसका प्रमाण मंदिर प्रांगण में भारी संख्या में चढ़ाए गए धनुण बाण हैं।
लोक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में खास तौर पर संतानहीन दंपत्ति पूजा के लिए आती है। कहा जाता है जो निः संतान दंपत्ति इस मंदिर में आकर श्रद्धा विश्वास से पूजा अर्चना करती है उन्हें बहुत जल्दी संतान प्राप्ति होती है। मनोकामना पूरी होने के बाद दंपत्ति यहां धनुण बाण तथा अस्त-शस्त्र चढ़ाकर जाते हैं।
इस मंदिर से जुड़ी एक किंवदंति यह भी प्रचलित है कि यहां जो व्यक्ति अखंड ज्योति जलाकर भजन कीर्तन करता है उसकी ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। बताया जाता है मंदिर में ऐड़ी देवता विराजमान हैं, यूं तो कुंमाऊं में ऐड़ी देवता के कई मंदिर मिल जाएंगे, लेकिन इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक मान्यता अधिक होने के कारण इसकी अधिक प्रसिद्धि है। ऐसा कहा जाता है ब्यानधुरा मंदिर में कालांतर समय में राजा ऐड़ी ने यहीं तपस्या की थी। अपने तप के बल से राजा ने देव्तत्व प्राप्त किया था। राजा ऐड़ी धनुष विघा में काफी निपुण थे और उनका एक रूप महाभारत काल में अर्जुन के रूप में अवतार लिया। पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इस क्षेत्र को अपना निवास स्थान बनाया था। साथ ही अर्जुन ने यहीं पर अपने गांडीव धनुष को पहाड़ की चोटी के पत्थर के नीचे छिपाए थे, जो आज भी मौजूद हैं।