दैवीय गुणों से भरपूर है गंगा, स्नान करने वाले जातक को मिलते हैं ये लाभ
punjabkesari.in Sunday, Jun 26, 2022 - 10:25 AM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
जब भी हिंदू धर्म में कोई पावन व्रत व त्यौहार आता है तो लगभग हर व्यक्ति सबसे पहले गंगा स्नान करके अपने आप को शुद्ध करते हैं। कुछ लोग अपने घर में रखें गंगाजल से स्नान कर लेते हैं तो वहीं कुछ लोग पावन गंगा घाटों पर जाकर स्नान करके मन-तन को शुद्ध करते हैं। हिंद धर्म शास्त्रों में गंगा को मां का दर्जा प्राप्त है। जिस कारण इनको अधिक महत्व प्राप्त है। तो वहीं गंगा मां देवों के देव महादेव के सिर पर सुशोभित, जिस कारण सनातन धर्म में इनका महत्व अधिक और बढ़ जाता है। अर्थात धार्मिक दृष्टि से गंगा मां की पूजा, गंगाजल से स्नान करना सब लाभदायक माना जाता है। परंतु क्या आप जानते हैं गंगा स्नान करने से न केवल धार्मिक बल्कि कई तरह के वैज्ञानिक लाभ भी प्राप्त होते हैं। अगर नहीं, तो चलिए हम आपको बताते हैं क्या है गंगा स्नान से जुड़े वैज्ञानिक लाभ, साथ ही साथ जानेंगे गंगा स्नान करने के सही नियम-
गंगा नदी का जल वर्षों प्रयोग करने पर और रखने पर भी ख़राब नहीं होता है। इसके जल के नियमित प्रयोग से रोग दूर होते हैं। हालांकि इन गुणों के पीछे का कारण अभी बहुत हद तक अज्ञात है। कुछ लोग इसे चमत्कार कहते हैं और कुछ लोग इसे जड़ी-बूटियों और आयुर्वेद से जोड़ते हैं। विज्ञान भी इसके दैवीय गुणों को स्वीकार करता है। अध्यात्मिक जगत में इसको सकारात्मक उर्जा का चमत्कार कह सकते हैं।
गंगा स्नान के नियम-
गंगा जी में स्नान करते समय हमेशा नदी की धारा या सूर्य की ओर मुंह करके नहाएं। अक्सर इस बात को लेकर शंका होती है कि आखिर गंगा स्नान करते समय कितनी संख्या में डुबकी लगाना शुभ होता है।। गंगा ही नहीं किसी भी नदी में स्नान करते समय हमेशा 3, 5, 7 या 12 डुबकियां लगाना अच्छा बताया गया है। यदि आप तीन डुबकी लगा रहे हैं तो आप एक डुबकी देवी-देवताओं के नाम से, एक अपने पुरखों के नाम से और एक अपने परिवार के नाम से लगाएं। और साथ ही गंगा तट की साफ सफाई का भी ध्यान रखना ज़रूरी है।
गंगा तट पर जब भी जाएं श्रद्धा और विश्वास के साथ जाएं और वहां पर कोई ऐसा आचरण न करें जो धर्म विरुद्ध है। गंगा स्नान करते समय सिर्फ अपने पाप ही नहीं बल्कि बल्कि मन का मैल भी दूर करें।
गंगा स्नान के दौरान करना चाहिए किन मंत्रों का जप-
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।।
हमारे धर्मशास्त्रों में गंगा नदी को सबसे पवित्र नदी माना गया है। पहले गंगाजी स्वर्ग में बहती थी पर महाराज भगीरथ ने अपनी तपस्या से गंगा मां को प्रसन्न करके पृथ्वी पर लेकर आये थे। शिव की जटाओ में विराजमान गंगा में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।
अगर किसी व्यक्ति का विवाह ना हो रहा हो तो गंगा नदी में नहाने के बाद मिटटी का घड़ा पानी में बहाने से जल्दी शादी हो जाती है।
गंगा नदी के किनारे स्नान करने के बाद छतरी, वस्त्र, जूते-चप्पल आदि दान में देना अच्छा होता है।
इसके अलावा हर सोमवार को शिवलिंग पर गंगा जल अर्पित करें। जल अर्पित करते समय या तो महामृत्युंजय मंत्र पढ़ते रहें या "ॐ नमः शिवाय" का जाप करें।
गंगा स्नान कभी भी बिना वस्त्र नहीं करना चाहिए। हमेशा वस्त्र धारण करके ही गंगाजल से या गंगा नदी में स्नान करें। ध्यान रहे इस दौरान कम से कम तीन बार डुबकी लगाएं। बाहर निकल कर पुराने वस्त्र वहीँ छोड़ दें। नवीन वस्त्र धारण करें, गलतियों के लिए क्षमा याचना करें व बाद में अन्न या फल का दान करें।
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