Dr. A.P.J. Abdul Kalam Birth Anniversary: मिसाइल मैन अब्दुल कलाम ने कभी फीस के लिए बेचे थे अखबार, संघर्षों से भरी है इनकी कहानी
punjabkesari.in Tuesday, Oct 15, 2024 - 07:58 AM (IST)
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Dr. A.P.J. Abdul Kalam Birth Anniversary: जनता के राष्ट्रपति के नाम से प्रसिद्ध भारतीय गणतंत्र के 11वें निर्वाचित राष्ट्रपति भारत रत्न अब्दुल कलाम ने सिखाया कि जीवन में चाहे जैसी भी परिस्थिति क्यों न हो, पर जब आप अपने सपने को पूरा करने की ठान लेते हैं तो उसे पूरा करके ही रहते हैं।
उन्होंने एक वैज्ञानिक और विज्ञान के व्यवस्थापक के रूप में चार दशकों तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डी.आर.डी.ओ.) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में काम किया तथा अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइलों के विकास के प्रयासों में शामिल रहे। इन्हें बैलिस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के विकास के कार्यों के लिए भारत में ‘मिसाइल मैन’ के तौर पर जाना जाता है।
उन्होंने 3 महान शिक्षकों विक्रम साराभाई, प्रोफैसर सतीश धवन और ब्रह्म प्रकाश जी के नेतृत्व में काम किया। बच्चों और युवाओं के बीच लोकप्रिय कलाम जीवनभर शाकाहारी रहे। कुरान और भगवद्गीता का अध्ययन करने वाले कलाम की भारत को महाशक्ति बनने की दिशा में कदम बढ़ाते देखना दिली चाहत थी।
15 अक्तूूबर, 1931 को रामेश्वरम, तमिलनाडु के धनुषकोडी गांव में एक मध्यवर्गीय परिवार में इनका जन्म हुआ। इनकी मां आशियम्मा इनके जीवन की आदर्श थीं। पिता जैनुलाब्दीन न तो अधिक पढ़े-लिखे थे, न ही पैसे वाले। वह मछुआरों को नाव किराए पर दिया करते थे। पांच भाई और पांच बहनों वाले परिवार को चलाने के लिए पिता के पैसे कम पड़ जाते थे, इसलिए शुरुआती शिक्षा जारी रखने के लिए कलाम को अखबार बेचने का काम भी करना पड़ा। परिवार को सहारा देने के लिए कलाम हमेशा आगे रहते थे।
पांचवी कक्षा में पढ़ते समय उनके अध्यापक उन्हें पक्षी के उड़ने के तरीके की जानकारी दे रहे थे, लेकिन जब छात्रों को समझ नहीं आया तो अध्यापक उनको समुद्र तट ले गए जहां उड़ते हुए पक्षियों को दिखाकर अच्छे से समझाया। इन्हीं पक्षियों को देखकर कलाम ने तय कर लिया कि उनको भविष्य में विमानन विज्ञान के फील्ड में ही कुछ करना है।
अपनी लगन और मेहनत के बल पर कलाम ने मद्रास इंस्टीच्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी से अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। स्नातक के बाद इन्होंने भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में प्रवेश किया। फिर वह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में आए, जहां उन्होंने सफलतापूर्वक कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में अपनी भूमिका निभाई। परियोजना निदेशक के रूप में भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान ‘एस.एल.वी. 3’ के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे जुलाई 1982 में रोहिणी उपग्रह सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया था।
इसरो लॉन्च व्हीकल प्रोग्राम को परवान चढ़ाने का श्रेय भी इन्हें जाता है। कलाम ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी नियंत्रित प्रक्षेपास्त्र (गाइडेड मिसाइल्स) को डिजाइन किया और अग्नि एवं पृथ्वी जैसे प्रक्षेपास्त्रों को स्वदेशी तकनीक से बनाया। पोखरण में परमाणु परीक्षण भी किया। इस तरह भारत ने परमाणु हथियार के निर्माण की क्षमता प्राप्त करने में सफलता अर्जित की। 2002 में इन्हें भारत का राष्ट्रपति चुना गया।
अपने अंतिम दिनों तक डॉ. कलाम छात्रों को प्रेरित करने की दिशा में सक्रिय रहे। 27 जुलाई, 2015 की शाम भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग में ‘रहने योग्य ग्रह’ पर व्याख्यान के दौरान दिल का दौरा पड़ने के बाद अस्पताल में उनका निधन हो गया। भारत सरकार द्वारा इसरो और डी.आर.डी.ओ. में कार्यों के दौरान वैज्ञानिक उपलब्धियों के लिए इन्हें 1981 में पद्म भूषण और 1990 में पद्म विभूषण का सम्मान प्रदान किया गया।
1997 में कलाम साहब को वैज्ञानिक अनुसंधानों और भारत में तकनीकी के विकास में अभूतपूर्व योगदान हेतु भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गया। दुनिया भर में उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगता है कि 2005 में स्विट्जरलैंड की सरकार ने डॉक्टर कलाम के उनके देश आगमन के उपलक्ष्य में 26 मई को विज्ञान दिवस घोषित किया था।