पति-पत्नी मंदिर में बैठकर करें इन मंत्रों का जाप, सूनी गोद भर देंगी मां भुवनेश्वरी
punjabkesari.in Saturday, Jul 06, 2019 - 11:05 AM (IST)

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आज यानि आषाढ़ माह की चतुर्थी तिथि तारीख़ 06 जुलाई दिन शनिवार को गुप्त नवरात्रि का चौथा दिन है। शास्त्रों के अनुसार ये दिन महाविद्या भुवनेश्वरी को समर्पित है। पौराणिक ग्रंथों में इन्हें शिव की आर्धांगिनी के रूप में पूजा जाता है। मान्यताओं के अनुसार इनकी पूजा से सुख और ऐश्वर्य और संतान प्राप्ति होती है। कहा जाता है भोलेनाथ की तरह देवी भुवनेश्वरी भी अत्यंत भोली हैं, इसलिए अपने भक्तों के कम प्रयासों से ही खुश होकर उन्हें मनचाहे वरदान प्रदान कर देती है। लेकिन वहीं ये भी कहा जाता है देवी का ये रूप बहुत ही कोपिष्ठ भी हैं अर्थात अगर मां किसी छोटी से बात पर भी रूठ जाए तो इनको रिझाने के लिए दोगुनी साधना करनी पड़ती है। माना जाता है कि जिस भी जातक को इस देवी की शक्तियां प्राप्त हो जाएं समाज में उसका मान व रूतबा बहुत बढ़ जाता है। तो आइए जानते हैं गुप्त नवरात्रि के दौरान किए जाने वाले चमत्कारी मंत्रों के बारे में-
बता दें देवी भुवनेश्वरी की मंत्र आराधना के लिए स्फटिक की माला का करना सबसे लाभदायक माना जाता है।
मंत्र-
“ॐ ऐं ह्रीं श्रीं नमः”
उद्यद्दिनद्युतिमिन्दुकिरीटां तुंगकुचां नयनवययुक्ताम् ।
स्मेरमुखीं वरदाङ्कुश पाशभीतिकरां प्रभजे भुवनेशीम् ॥
भुवनेश्वरी स्तुति
जगत जननी, मुस्कराती
जपा कुसुमवत रक्त वर्णा
चतुर्भुजा, त्रिनेत्रा
अभय और वर देने वाली
माँ भुवनेश्वरी !
मां! जग में भरा घोर अंधेरा
हमें चाहिये अभय दान
मां आप हैं त्रिभुवन की स्रष्टा
आप ही हैं सौभाग्यकारिणी
मान बचा दें आप हमारा
पूरी कर दें सभी कामना
हम करते आपकी वंदना
भूल हमारी कर दें माफ़
जग परिपालक
भुवनेश्वरी मां !!
इसके अलावा इनके पूजन से जीवन की जटिलता दूर होती है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक ब्रम्हांड कि निर्मिती के समय सूर्य नारायण अकेले ही अपनी शक्ती का प्रदर्शन कर रहे थे। इसी को लेकर त्रिदेव ब्रम्हा, विष्णू और महेश में अपने इस निर्माण कार्य को लेकर शक्ति प्रदर्शन में बहस छिड गई कि सर्वशक्तिमान कौन है। कहा जाता है तब आदिशक्ति ने पृथ्वी का रूप लेकर उन तीनों का गर्व हरण किया क्योंकि उस समय केवल भूमाता शांत थी। उसके गर्भ में पानी भी था जो सूर्य की शक्ति को शांत करने में सक्षम था। माना जाता है इसीलिए भुवनेश्वरी माता का सीना आधा खुला है,क्योंकि सृष्टी का सर्जन निरंतर हो रहा है उसका भरण पोषण भी निरंतर हो रहा है।
शास्त्रों में कहा गया है जिस स्त्री को दूध कम है, या जिस माता का दूध शिशु के लिए पूरा न पड़ रहा हो या जिन स्त्रियों की कोक सूनी हो उन्हें पति के साथ मिलकर मां भुवनेश्वरी की आराधना करनी चाहिए।