उज्जैन के महाकाल मंदिर के नीचे खुदाई के दौरान मिला 1000 हज़ार पुराना मंदिर
punjabkesari.in Thursday, Dec 24, 2020 - 07:27 PM (IST)

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हमारे देश में ऐसे बहुत से मंदिर हैं, जिनसे जुड़ा रहस्य उन्हें न केवल देश में बल्कि प्रदेशों में भी अति प्रसिद्ध है। इन्ही में से एक है उज्जैन का महाकाल मंदिर। जिसके बारे में लगभग हर कोई जानता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उज्जैन में स्थित भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक माना जाता है। मगर आपको बता दें हम आपको उसके बारे में नहीं बल्कि इस मंदिर के नीचे से मिले एक और मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जी हां, खबरों की मानें तो महाकाल मंदिर परिसर के नीचे खुदाई के दौरान एक अन्य 1000 साल पुराना मंदिर मिला है। जिसका जायजा करने जब पुरातत्व विभाग की टीम पहुंची तो इसका निरीक्षण करने बाद बताया गया कि इस मंदिर के मिले प्राचीन अवशेष, तथा उसकी बनावट तथा उसकी नक्काशी को देखकर ये प्रतीत होता है कि यह दसवीं या ग्यारहवीं शताब्दी का मंदिर है।
तो वही ये भी कहा जा रहा है कि हज़ार साल पुराने मिले इस मंदिर का रहस्य महाकाल मंदिर से जुड़ा हुआ हो सकता है। कहा ये भी जा रहा है कि उज्जैन में मिले मंदिर से कई अन्य रहस्यमयी बातें सामने आ सकती हैं। जिनसे न केवल महाकाल मंदिर का बल्कि इस पूरे क्षेत्र के ऐतिहासिक महत्व पता चल सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि आगे मंदिर समिति और प्रशासन को ही निर्णय लेना है कि इसका पुरातात्विक धरोहर को संरक्षित किया जाएगा या नहीं।
सुनिश्चित करना होगा मंदिर का निर्माण के दौरान कार्य में धरोहर को न हो नुकसान
प्राप्त जानकारी के अनुसार जिस स्थल पर मंदिर के अवशेष मिले हैं उसके आसपास मंदिर का निर्मा सावधानीपूर्वक कर सकते हैं। मगर ये सुनिश्चित करना होगी कि जो धरोहर जमीन में मिली है उसे किसी तरह का नुकसान नहीं हो।
20 फीट नीचे मिले हैं परमार कालीन अवशेष
बताया जा रहा है कि महाकालेश्वर मंदिर परिसर में परमार कालीन पुरातन अवशेष मिले हैं। जो विशेषज्ञों के अनुसार परमार काल के किसी मंदिर का आधार (अधिष्ठान) है। यहां चल रही विस्तारीकरण के लिए खुदाई के दौरान जमीन से करीब 20 फीट नीचे इन पत्थरों की प्राचीन दीवार मिली है।
खास बात तो ये है कि इन पत्थरों पर नक्काशी है। जिसके बाद खुदाई कार्य को रोक दिया गया था।
दरअसल, ये खुदाई सती माता मंदिर के पीछे शहनाई होल्डिंग एरिया में जेसीबी से खुदाई की जा रही थी। जिस दौरान यह आधार मिला। विक्रम विश्वविद्धालय के प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ. राम कुमार अहिरवार का इन अवशेषों पर दर्ज नक्काशी के देखने के बाद कहना है कि ना है कि ये परमार कालीन लग रही है, जो लगभग 1000 वर्ष पुरानी हो सकती है।