Israel-Iran के बीच युद्ध से तेल की सप्लाई का खतरा, बढ़ सकती है महंगाई
punjabkesari.in Tuesday, Oct 15, 2024 - 06:02 PM (IST)
बिजनेस डेस्कः इसराइल और ईरान के बीच चल रहे संघर्ष से पूरी दुनिया में तेल सप्लाई पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। इस जंग के बढ़ने से न सिर्फ तेल की कीमतों में बढ़ौतरी होगी। अलबत्ता पूरे मध्य पूर्व में अशांति फैल सकती है। दुनिया का 20 प्रतिशत तेल होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है। यह एक महत्वपूर्ण शिपिंग रूट है। इस क्षेत्र में किसी भी तरह की रुकावट से ग्लोबल तेल सप्लाई पर सीधा असर पड़ेगा। यह दुनियाभर में महंगाई को हवा देगी।
भारत अपनी जरूरत का ज्यादातर कच्चा तेल आयात करता है। कच्चे तेल पर उसकी निर्भरता एक गंभीर मुद्दा है। यह देश की अर्थव्यवस्था और ऊर्जा सुरक्षा पर असर डालता है। भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के कारण ऊर्जा की खपत लगातार बढ़ रही है। तेल आयात के कारण देश का इम्पोर्ट बिल बढ़ता है। इससे व्यापार घाटे में बढ़ौतरी होती है। रुपए का मूल्य कमजोर होता है। यानी तेल कीमतों में किसी भी तरह की तेजी भारत के लिए अच्छी नहीं है। यह महंगाई को हवा देगी।
हर दिन 1.6-1.7 मिलियन बैरल तेल निर्यात करता है ईरान
ईरान हर दिन लगभग 1.6-1.7 मिलियन बैरल तेल का निर्यात करता है। संघर्ष बढ़ने से यह सप्लाई खतरे में पड़ सकती है। ईरान के तेल निर्यात टर्मिनल जैसे खार्ग द्वीप और सिरी द्वीप उसके निर्यात के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।
जंग बढ़ने पर ये टर्मिनल निशाने पर आ सकते हैं। ईरान की प्रमुख गैस निर्यात पाइपलाइनों को भी निशाना बनाया जा सकता है। इनमें तुर्की जाने वाली तबरेज-अंकारा पाइपलाइन शामिल है। यह पाइपलाइन हर साल 9-10 बी.सी.एफ. प्राकृतिक गैस का परिवहन करती है। यह ईरान के कुल निर्यात का एक बड़ा हिस्सा है।
कुल मिलाकर, तेल सप्लाई में लगभग 1.6-1.7 मिलियन बैरल पर डे (एम.बी.पी.डी.) की गिरावट देखने को मिली सकती है। वहीं, 17-20 बिलियन क्यूबिक फुट (बी.सी.एफ.) प्राकृतिक गैस निर्यात खतरे में पड़ सकता है। यह स्थिति पहले से ही धीमी आर्थिक विकास से जूझ रही दुनिया के लिए चिंता का विषय है।
भारत में बढ़ सकती है महंगाई
इन स्थितियों से भारत भी अछूता नहीं रह सकता है। इसका सबसे बड़ा खतरा महंगाई के तौर पर सामने आ सकता है। खाने का सामान महंगा होने से सितंबर में पहले ही खुदरा महंगाई दर बढ़कर 5.49 प्रतिशत पर पहुंच गई। इससे पिछले महीने यह 3.65 प्रतिसत पर थी। सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार खाने-पीने की वस्तुओं की महंगाई सितंबर में उछलकर 9.24 प्रतिशत हो गई। यह इससे पिछले महीने अगस्त में 5.66 प्रतिशत और एक साल पहले इसी महीने में 6.62 प्रतिशत थी।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को खुदरा महंगाई दर 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4 फीसदी पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। केंद्रीय बैंक ने महंगाई को टारगैट के अनुरूप लाने के मकसद से पिछले सप्ताह पेश मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया था।