Sovereign Gold Bond बना सरकार के लिए महंगा सौदा, बढ़ती कीमतों से देनदारी बढ़ी

punjabkesari.in Saturday, Mar 22, 2025 - 04:47 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः 2015 में केंद्र सरकार ने सोने के आयात को कम करने और डिजिटल निवेश को बढ़ावा देने के लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) स्कीम की शुरुआत की थी। इस योजना का उद्देश्य विदेशी मुद्रा की बचत और सोने की भौतिक मांग को कम करना था। हालांकि, सोने की कीमतों में भारी बढ़ोतरी और निवेश पर मिलने वाले ब्याज के कारण यह स्कीम अब सरकार के लिए आर्थिक बोझ बनती जा रही है।

सरकार पर बढ़ा वित्तीय दबाव

एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार को इस स्कीम से अब तक करीब 13 बिलियन डॉलर (₹1.08 लाख करोड़) का वित्तीय भार झेलना पड़ा है। सोने की कीमतों में जबरदस्त उछाल के कारण परिपक्व हो रहे गोल्ड बॉन्ड पर सरकार की देनदारी लगातार बढ़ रही है।

2016-17 सीरीज IV के गोल्ड बॉन्ड का मूल्य 2,943 रुपए प्रति ग्राम था, जो अब 8,634 रुपए प्रति ग्राम हो गया है यानी निवेशकों को 193% का शानदार रिटर्न मिला है, साथ ही 2.5% का वार्षिक ब्याज भी मिला लेकिन इसका सीधा असर सरकार की देनदारी पर पड़ा, जिससे यह स्कीम वित्तीय चुनौती बन गई।

क्या सरकार बंद करेगी SGB स्कीम?

बढ़ते आर्थिक बोझ को देखते हुए सरकार इस स्कीम को बंद करने पर विचार कर सकती है। गौरतलब है कि सरकार ने इस साल अब तक किसी नए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की घोषणा नहीं की है, जिससे इस योजना के भविष्य को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। 
 


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Content Writer

jyoti choudhary

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