विरल आचार्य ने केंद्र सरकार को चेताया, अर्थव्यवस्था के लिए भारी पड़ सकती है यह अनदेखी

punjabkesari.in Wednesday, Oct 21, 2020 - 01:32 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने केंद्र सरकार को चेताते हुए कहा कि सरकार बैंको के पूंजीकरण की अनदेखी कर रही है और इसमें हुई देरी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भारी पड़ सकती है। विरल आचार्य ने कहा कि सरकार का फोकस अभी केवल मोरेटोरियम और कर्जदारों की Interest माफी पर है और वह बैंको में पूंजी डालने में देरी कर रही है।

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मार्च तक दोगुना होगा NPA
विरल आचार्या ने कहा कि RBI के अनुमान के मुताबित, देश के बैंक अभी 120 बिलियन डॉलर यानी 8,80,041 करोड़ रुपए के कर्ज में डूबे हुए हैं और मार्च तक इसकी राशि यानी एनपीए (NPA) दोगुनी होने की आशंका है। इससे बैंक काफी दिक्कत में हैं। उन्होंने कहा था कि यह बहुत जरूरी है कि सरकार बैंकों को पैसा दे।

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सरकार पर साधा निशाना
केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए विरल आचार्य ने कहा कि बैंकों को रिकवरी के लिए पैसों की जरूरत है लेकिन सरकार इस मामले पर ध्यान नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि सरकार की यह अनदेखी शॉर्ट टर्म में लाभ के लिए वित्तीय स्थिरता को प्रभावित कर सकती है। इससे लोग सड़क पर आ सकते हैं और देश वर्ष 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी के दौर से गुजर सकता है।

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बार-बार की गलतियों ने भारत का विकास रोका 
आचार्य ने कहा कि बार-बार की गई इस गलती ने भारत को विपरीत झटकों से अच्छी तरह उबरने से रोक दिया है। उनकी यह टिप्पणी भारत द्वारा छह महीने तक कर्ज के मोरेटोरियम की शर्तों को कानूनी चुनौती के बाद 2 करोड़ रुपए तक के सभी लोन पर ब्याज को माफ करने के ऑफर के कुछ हफ्तों बाद आई है। विरल आचार्य ने कहा कि शॉर्ट टर्म में कर्जदारों को लोन मोरेटोरियम और Interest waiver देना मीडियम टर्म में क्रेडिट ग्रोथ की रिकवरी रोक सकती है। उन्होंने कहा कि लोन रीस्ट्रक्चरिंग (Loan Restructuring) पैकेज में यह सुनिश्चित करने के लिए ठीक-ठाक उपाय किए गए हैं, ताकि इसका दुरुपयोग नहीं हो सके। 

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पिछली गलतियों से सबक सीखने का समय
विरल आचार्य ने कहा कि लोन रीस्ट्रक्चरिंग से होने वाले नुकसान के लिए एक अलग फंड बनाया जाना चाहिए ताकि महामारी से निकलने के बाद देश की अर्थव्यवस्था ठीक होने पर विकास की गति नहीं रुके। उन्होंने कहा, अगर सरकार समय से बैंकों का पूंजीकरण (bank recapitalisation) नहीं करना चहती है तो लोन मोरेटोरियम और माफी जैसी योजनाओं के लिए बैंक पर दबाव नहीं बनाना चाहिए। लोन मोरेटोरियम और माफी जैसी योजनाओं से बैंकों को आगे कर्ज देने में और दिक्कत हो सकती है। उन्होंने कहा कि यह पिछली गलतियों से सबक सीखने का समय है। बैंक बैलेंसशीट की भी रिपेयरिंग करने की जरूरत है।
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jyoti choudhary

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