कोलकाता में Britannia की ऐतिहासिक फैक्ट्री बंद होने की खबरों के बीच सरकार ने बताई सच्चाई
punjabkesari.in Wednesday, Jun 26, 2024 - 01:58 PM (IST)
बिजनेस डेस्कः भारत में बिस्कुट बनाने वाली पुरानी कंपनियों में से एक है ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड। इसका हेडक्वार्टर पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में है। दरअसल, इस कंपनी की शुरुआत ही कोलकाता में ही हुई है। वहां के तारातला इलाके में ब्रिटानिया बिस्कुट का एक कारखाना है, जिसकी स्थापना 1947 में हुई थी। कई दिन से खबर आ रही है कि इस पुराने कारखाने को बंद किया जा रहा है। इस बीच पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से बयान आया है कि यह फैक्ट्री बंद नहीं होगी।
पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से क्या आया है बयान
पश्चिम बंगाल सरकार में पूर्व वित्त मंत्री रहे और इस समय राज्य सरकार के चीफ इकोनॉमिक एडवायजर अमित मित्रा ने एक प्रेस कांफ्रेस में कुछ अलग दावे किये। उन्होंने कहा कि ब्रिटानिया पश्चिम बंगाल नहीं छोड़ रही है, यह पोलिटिकली मोटिवेटेड प्रोपगंडा है। उनकी कंपनी के एमडी वरूण बेरी से बात हुई है। उन्होंने आश्वस्त किया है कि कंपनी पश्चिम बंगाल के प्रति पूरी तरह से कमिटेड है। इस समय भी कंपनी 1200 करोड़ रुपए का बिस्कुट बना रही है। बेरी ने यह भी कहा है कि ब्रिटानिया का हेडक्वार्टर कोलकाता ही बना रहेगा और यहीं शेयरहोल्डर्स की बैठक भी होगी।
क्या कहा था ब्रिटानिया ने
ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने पिछले दिनों स्टॉक एक्सचेंज की फाइलिंग में बताया था कि वह तारातला की फैक्ट्री को बंद करने वाली है। कंपनी ने बताया है कि तारातला फैक्ट्री बंद करने से किसी कर्मचारी पर दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा। सभी कर्मचारियों को वॉलंटरी रिटायरमेंट (Voluntary Retirement Scheme) का लाभ मिला है। दरअसल, उस प्लांट के सभी कर्मचारी वीआरएस ले चुके हैं।
क्या है ब्रिटानिया की कहानी
ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज की शुरुआत 295 रुपए की छोटी सी पूंजी से हुई थी। दरअसल, ब्रिटानिया की कहानी साल 1892 में कोलकाता के एक छोटे से घर से शुरू होती है। कुछ अंग्रेजों द्वारा शुरू की गई कंपनी ब्रिटानिया जल्द ही गुप्ता ब्रदर्स के हाथ में चली गई और इसे वी एस ब्रदर्स के नाम से जाना जाने लगा। साल 1918 में एक अंग्रेज कारोबारी एच सी होम्स को कंपनी के बोर्ड में लाया गया जिन्होंने ब्रिटानिया बिस्कुट कंपनी लांच की। साल 1921 में बिस्किट बनाने वाली दो बड़ी कंपनियों का ब्रिटेन में मर्जर हुआ। यह पिक प्रिंस और हर्ष नाम की कंपनी थी। साल 1924 में यह कंपनी भारत आई और उन्हें ब्रिटानिया के रूप में एक कामकाजी पार्टनर मिला। उसके बाद मुंबई समेत देश भर के कई इलाके में बिस्किट फैक्ट्री लगाई जाने लगी।
शेयर बाजार में लिस्टिंग
जब द्वित्तीय विश्व युद्ध की शुरुआत हो गई तो बिस्कुट की मांग काफी बढ़ गई थी। उस समय इस कंपनी का कारोबार आसमान छूने लगा। साल 1978 में ब्रिटानिया शेयर बाजार में लिस्ट हो गई और इसका नाम ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड कर दिया गया। साल 1993 में वाडिया ग्रुप ने ब्रिटानिया के बोर्ड में ज्वाइन किया और साल 1997 में कंपनी में काफी बदलाव हुआ। कंपनी का कारोबार बढ़ाने के लिए एक नई रणनीति पर अमल किया गया। इसके बाद ब्रिटानिया के तमाम प्रोडक्ट से ट्रांस फैट हटा दिया गया और पैकेजिंग फॉर्मट को ऑप्टिमाइज कर बिस्कुट को सस्ता बनाने की कोशिश की गई।
आज की तारीख में देखें तो भारत में ब्रिटानिया के बिस्कुटों का राज चल रहा है। इसका ऐतिहासिक मिल्क बिकिस तो खूब बिक ही रहा है, अरारोट का मेरीगोल्ड बिस्कुट, गुड डे, बोर बोन, लिटिल हार्ट्स आदि भी खूब बिकती हैं।