तीसरी तिमाही में 5 फीसदी से कम रहेगी वृद्धि दर!
punjabkesari.in Monday, Feb 27, 2023 - 01:48 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः कई आर्थिक संकेतकों से आर्थिक गतिविधियों में सुधार का इशारा मिलने के बाद भी चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में देश की आर्थिक वृद्धि दर धीमी होकर 5 फीसदी से कम रह सकती है। वित्त वर्ष 2022 की तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 5.4 फीसदी रही थी। वित्त वर्ष 2023 की सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 6.3 फीसदी दर्ज की गई थी। तीसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े मंगलवार को जारी किए जाएंगे।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा इस महीने की शुरुआत में 41 पेशेवशरों के साथ कराए गए सर्वेक्षण में दिसंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 4 से 6.9 फीसदी के दायरे में रहने का अनुमान लगाया गया था। सर्वेक्षण के अनुसार जीडीपी वृद्धि औसतन 4.6 फीसदी रह सकती है। मगर आरबीआई ने अपने अनुमान में जीडीपी की वृद्धि दर 4.4 फीसदी रहने की उम्मीद जताई है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय पिछले साल के जीडीपी आंकड़ों के साथ ही चालू वित्त वर्ष के दूसरे अग्रिम अनुमान में भी मंगलवार को संशोधन कर सकता है। वित्त वर्ष 2022 के आधार वर्ष के आंकड़े बदल गए हैं, ऐसे में वित्त वर्ष के सालाना वृद्धि अनुमान को भी संशोधित किया जा सकता है। भारतीय स्टेट बैंक समूह में मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा, ‘हमारा अनुमान है कि मंगलवार को वित्त वर्ष 2020, वित्त वर्ष 2021 और वित्त वर्ष 2022 के जीडीपी आंकड़ों को संशोधित किया जा सकता है। इसके साथ ही इन सभी वित्त वर्ष की चारों तिमाहियों तथा चालू वित्त वर्ष की पहली और दूसरी तिमाही के आंकड़ों में भी बदलाव किया जाएगा।’
उच्च आवृत्ति वाले संकेतकों से पता चलता है कि देश की अर्थव्यवस्था का कृषि और सेवा क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन जारी रहेगा मगर विनिर्माण में नरमी के संकेत बने हुए हैं। घरेलू अर्थव्यवस्था पर शुद्ध निर्यात का नकारात्मक दबाव भी थोड़ा कम हो सकता है। सितंबर तिमाही में शुद्ध निर्यात में 50.3 अरब डॉलर की कमी आई थी, जो दिसंबर तिमाही में 35.5 अरब डॉलर ही कम रही। इससे दिसंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि को बल मिल सकता है।
एसबीआई रिसर्च के अनुसार दिसंबर तिमाही में करीब 3,000 गैर-वित्तीय कंपनियों के तिमाही नतीजों से पता चलता है कि उएनके एबिटा में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 9 फीसदी की कमी आई है जबकि पिछले साल इस दौरान यह 18 फीसदी बढ़ा था।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘बाह्य मांग कमजोर पड़ने तथा कोविड से पहले की तुलना में कंज्यूमर ड्यूरेबल्स की देसी मांग कम रहने से वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में विनिर्माण में कुछ गिरावट आई है। मगर वाहन तथा अन्य उत्पादों की मांग त्योहारी मौसम के दौरान बढ़ी है।’
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि ग्रामीण मांग मजबूत बनी रह सकती है, जिसका संकेत ट्रैक्टर तथा दोपहिया वाहनों की बिक्री में सुधार से भी मिलता है। उन्होंने कहा, ‘टाली गई मांग आने तथा गैर-जरूरी खर्च में तेजी से शहरी खपत को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। रेल से माल ढुलाई तथा हवाई यात्रियों की मांग बढ़ने के साथ ही ज्यादा संख्या में ईवे बिल जारी होने से सेवा क्षेत्र को और बल मिलेगा।’
दूसरे अग्रिम अनुमान से चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर के अनुमान को भी दुरुस्त किया जाएगा। पहला अग्रिम अनुमान जनवरी में जारी किया गया था, जिसमें वित्त वर्ष 2023 में जीडीपी में 7 फीसदी वृद्धि दर का अनुमान लगाया गया था। यह आरबीआई और विश्व बैंक के 6.8 फीसदी के अनुमान से थोड़ा अधिक है।
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