अमरीकी पाबंदी का असर, पेट्रोल और होगा महंगा

punjabkesari.in Saturday, Sep 15, 2018 - 10:01 AM (IST)

नई दिल्लीः भारत की तेल कम्पनियां सितम्बर और अक्तूबर महीने में ईरान से मासिक तेल आयात में साल के शुरूआती महीनों के मुकाबले करीब-करीब आधी कटौती करेंगी। इसकी वजह यह है कि ईरान पर नवम्बर से लगने जा रहे अमरीकी प्रतिबंध के बाद ट्रम्प प्रशासन के ऑफर का फायदा उठाया जा सके। सितम्बर और अक्तूबर में ईरान से तेल आयात 2 करोड़ 40 लाख बैरल घट जाएगा क्योंकि मौजूदा स्थिति को पहले ही भांपकर अप्रैल से अगस्त के बीच ज्यादा तेल खरीद लिया गया था। अगर ऐसा होता है तो पैट्रोल और महंगा हो जाएगा।

PunjabKesari

ईरान से रोकेगा तेल आयात
गौरतलब है कि दुनिया के ताकतवर देशों के साथ 2015 में की गई न्यूक्लीयर डील से ईरान के हटने के बाद अमरीका ईरान पर पाबंदी फिर से बहाल कर रहा है। अमरीका 6 अगस्त से कुछ वित्तीय प्रतिबंध लागू कर चुका है जबकि ईरान के पैट्रोलियम सैक्टर को प्रभावित करने वाली पाबंदियां 4 नवम्बर से लागू होंगी। ट्रम्प प्रशासन ने कहा है कि वह भारत जैसे कुछ देशों को ईरान से तेल आयात पर पाबंदी में ढील दे सकता है लेकिन उन्हें अभी ईरान से तेल आयात रोकना पड़ेगा। पिछले सप्ताह नई दिल्ली में उच्च स्तरीय अधिकारियों से बातचीत में अमरीकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ ने यह बात कही थी।

भारत अमरीका से साधना चाहता है संतुलन
चीन के बाद भारत ईरान के कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा आयातक है। भारत अमरीकी प्रतिबंधों की बहाली को ज्यादा तवज्जो नहीं देना चाहता लेकिन वॉशिंगटन की ओर से मिले पाबंदियों से छूट के ऑफर को अपनाने की कोशिश करते हुए अमरीका के साथ संतुलन साधना चाहता है ताकि यह अमरीकी वित्तीय तंत्र के साथ अपने हितों को संरक्षित कर सके। जून महीने में पैट्रोलियम मंत्रालय ने रिफाइनरियों से कहा था कि वे नवम्बर महीने से ईरान से तेल आयात में बड़ी कटौती करने की तैयारी करें और संभव हो तो बिल्कुल आयात नहीं करने को भी तैयार रहें।

PunjabKesari

भारत छूट के ऑफर पर कर रहा काम
सरकारी सूत्रों ने बताया कि भारत ने पिछले सप्ताह अमरीकी अधिकारियों से बातचीत में स्पष्ट कर दिया था कि वह वॉशिंगटन की ओर से पाबंदियों पर छूट के ऑफर पर काम कर रहा है। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘अमरीका और ईरान दोनों के साथ हमारे विशेष रिश्ते हैं और हम इन सबके बीच संतुलन साधने की कोशिश में हैं। साथ ही हमारा ध्यान इस बात पर भी है कि रिफाइनरियों और उपभोक्ताओं के हितों को भी कैसे संरक्षित कर सकें।’’ अगर वॉशिंगटन ने कड़ा रुख अपनाया तो भारत के पास ईरान से तेल आयात रोकने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा।

सरकार पैट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों से विपक्षियों के निशाने पर
दरअसल भारत सरकार अमरीकी डॉलर के मुकाबले रुपए की कमजोरी और पैट्रोल-डीजल के दाम रिकॉर्ड स्तर को छूने से विपक्षियों के निशाने पर है। ऐसे में मोदी सरकार ईरान से तेल आयात रोकना नहीं चाहती है क्योंकि वहां से भारत को डिस्काऊंट पर कच्चा तेल मिल रहा है।

PunjabKesari

10 करोड़ बैरल होगी तेल की खपत
तेल की वैश्विक खपत अगले 3 महीने में 10 करोड़ बैरल प्रतिदिन (बी.पी.डी.) के स्तर पर पहुंच जाएगी जिससे तेल के दामों पर और अधिक दबाव बनेगा। हालांकि उभरते बाजार संकट और व्यापार विवाद से इस मांग में कमी आएगी। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजैंसी (आई.ई.ए.) ने यह जानकारी दी। पैरिस स्थित इस एजैंसी ने तेल की वैश्विक मांग में इस साल मजबूत इजाफे के अपने पूर्वानुमान को बरकरार रखा है। एजैंसी ने इस साल 14 लाख बैरल प्रतिदिन और 2019 में और 15 लाख बैरल प्रतिदिन इजाफे के अपने पूर्वानुमान में कोई बदलाव नहीं किया है। ऊर्जा संबंधी नीतियों पर पश्चिमी सरकारों को सुझाव देने वाली इस एजैंसी ने अपनी मासिक रिपोर्ट में कहा कि चीजें सख्त हो रही हैं। अप्रैल के बाद से ब्रेंट के 70.80 डॉलर प्रति बैरल के मूल्य दायरे को परखा जा सकता है। 
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Supreet Kaur

Recommended News

Related News