'वैश्विक उथल-पुथल के लिए तैयार हो जाइए'- जानिए Uday Kotak ने ऐसा क्यों कहा

punjabkesari.in Thursday, Apr 11, 2024 - 02:26 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः कोटक महिंद्रा बैंक के फाउंडर और डायरेक्टर उदय कोटक ने ग्लोबल मार्केट को लेकर एक बड़ी भविष्यवाणी की है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म X पर एक पोस्ट लिखा है जिसमें उन्होंने कहा है कि बहुत जल्द 'वैश्विक अशांति' आने वाली है।

दुनिया में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश अमेरिका के हाल के मुद्रास्फीति के आंकड़ों का जिक्र करते हुए उदय कोटक ने कहा है कि उम्मीद से अधिक महंगाई के आंकड़ों ने दर में कटौती करने के फैसले को टाल दिया है। दरअसल, पिछसे साल जून की शुरुआत में अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने दर में कटौती करने के फैसले को टाल दिया था।

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उन्होंने आगे लिखा, "अमेरिका में महंगाई यानी मुद्रास्फीति उम्मीद से भी अधिक है। यदि अमेरिकी दर में कटौती होता भी है तो उसे बाद के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के करीब तक स्थगित कर दिया जाता है। ब्रेंट ऑयल अब 90 डॉलर है। भारत सहित दुनियाभर में ब्याज दरों को लंबे समय तक अधिक रखा जाएगा। केवल वाइल्ड कार्ड: चीन आर्थिक रूप से कमजोर हो रहा है। वैश्विक अशांति (उथल-पुथल) के लिए तैयार हो जाइए।"

अमेरिकी शेयर बाजार में गिरावट

अमेरिकी श्रम विभाग द्वारा जारी एक रिपोर्ट के बाद बुधवार को अमेरिकी शेयर बाज़ार तेजी से गिरावट के साथ बंद हुए। रिपोर्ट में यह संकेत दिए गए हैं कि मार्च में मुद्रास्फीति यानी महंगाई दर अनुमान से अधिक थी। आंकड़ों से पता चला कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मार्च में सालाना आधार पर 3.5 प्रतिशत बढ़ा जो कि फरवरी में 3.2 फीसदी थी। एसएंडपी 500 में 0.9 प्रतिशत की गिरावट देखी गई और सूचकांक के अधिकांश शेयरों में भी यही गिरावट दर्ज की गई। अमेरिकी सूचकांक डॉव जोन्स में 422 अंक यानी 1.1 फीसदी की गिरावट आई और नैस्डैक कंपोजिट में 0.8 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई।

क्रूड ऑयल के दाम में बढ़ोतरी

पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव के बीच पिछले कुछ दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में भी काफी तेजी देखी गई है। वैश्विक बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 90 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर गया है। रातोरात ब्रेंट तेल की कीमत 0.30 प्रतिशत बढ़कर 90 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुंच गई। अगर तेल की कीमतें लंबे समय तक ऊंची रहीं तो इसका असर भारत पर भी पड़ सकता है। तेल की बढ़ती कीमतों के कारण भारत की अर्थव्यवस्था को मुद्रास्फीति और विकास जोखिमों का सामना करना पड़ता है क्योंकि भारत अपनी अधिकांश पेट्रोलियम आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आयात करता है।

 


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Content Writer

jyoti choudhary

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