Stock Market Crash: शेयर बाजार में भूचाल, निवेशकों के डूबे 4.26 लाख करोड़, इन शेयरों में रही गिरावट
punjabkesari.in Friday, Aug 02, 2024 - 11:26 AM (IST)
बिजनेस डेस्कः गुरुवार को रिकॉर्ड हाई पर पहुंचने के बाद शुक्रवार (2 अगस्त) को शेयर बाजार में भूचाल आ गया। स्टॉक मार्केट खुलते ही लाल निशान पर था। सेंसेक्स में 800 अंक की गिरावट देखने को मिली। अमेरिकी इकॉनमी को लेकर चिंताओं और एशियाई बाजारों में गिरावट के कारण भारतीय शेयर बाजार में भारी बिकवाली दिख रही है। बैंकिंग, ऑटो, आईटी और एनर्जी शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट आई है।
शुरुआती कारोबार में बीएसई सेंसेक्स 814 अंक गिरकर 81,026 अंक पर आ गया जबकि निफ्टी50 भी 282 अंक गिरकर 24,728 पर था। इस गिरावट से बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 4.26 लाख करोड़ रुपए की गिरावट के साथ 457.36 लाख करोड़ रुपए रह गया। सभी प्रमुख सेक्टोरल इंडेक्सेज में गिरावट आई है। निफ्टी मेटल और पीएसयू बैंक में सबसे अधिक 2% से अधिक की गिरावट आई। निफ्टी स्मॉलकैप 100 और निफ्टी मिडकैप 100 में भी 1% से अधिक की गिरावट आई। इस बीच फूड एग्रीगेटर जोमैटो का शेयर 10 फीसदी उछल गया। जून तिमाही में कंपनी के प्रॉफिट में कई गुना बढ़ोतरी हुई है। इसके बाद CLSA ने इस शेयर का टारगेट प्राइस बढ़ाकर 350 रुपए कर दिया।
इन शेयरों को हुआ नुकसान
सेंसेक्स में लिस्टेड कंपनियों में से टाटा मोटर्स, मारुति सुजुकी इंडिया, टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, लार्सन एंड टूब्रो, अदाणी पोर्ट्स, टेक महिंद्रा, एनटीपीसी और टेक महिंद्रा के शेयरों को नुकसान हुआ।
इन शेयरों में रही बढ़त
वहीं एचडीएफसी बैंक, हिंदुस्तान यूनिलीवर, एशियन पेंट्स, नेस्ले इंडिया और आईटीसी के शेयरों में बढ़त आई। एशियाई बाजारों में चीन का शंघाई कम्पोजिट, हांगकांग का हैंगसेंग, जापान का निक्की और दक्षिण कोरिया का कॉस्पी नुकसान में रहे। अमेरिकी बाजार भी बृहस्पतिवार को नकारात्मक रुख के साथ बंद हुए।
क्यों गिरा बाजार
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.78 प्रतिशत की बढ़त के साथ 80.14 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था। शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) पूंजी बाजार में बृहस्पतिवार को लिवाल रहे और शुद्ध रूप से 2,089.28 करोड़ रुपए की कीमत के शेयर खरीदे। अमेरिकी बाजारों में गिरावट के बाद भारतीय इक्विटी बाजार में भी गिरावट आई। कमजोर विनिर्माण आंकड़ों के कारण अमेरिकी शेयरों में गिरावट आई। इससे अमेरिकी इकॉनमी के भविष्य के बारे में संदेह पैदा हुआ और फेडरल रिजर्व के ब्याज दर में कटौती की संभावना कमजोर हुई।