नोटबंदी की सुनामी में 14 दिन में निवेशकों के डूबे 10 लाख करोड़

punjabkesari.in Wednesday, Nov 23, 2016 - 02:03 PM (IST)

नई दिल्लीः नोटबंदी के ऐलान को 14 दिन हो चुके हैं। देश भर में जितना कैश बैंकों के पास जमा हुआ है उससे कहीं ज्यादा रकम इस दौरान शेयर बाजार में डूब चुकी है। फैसले के बाद से जहां शेयर बाजार 1800 अंक लुढ़क चुका है। शेयर बाजार में मची इस अफरा-तफरी में बीते 14 दिनों शेयरों में आई बिकवाली में निवेशकों को लगभग 10 लाख करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है। मंगलवार को शेयर बाजार में शुरूआती गिरावट दर्ज हुई लेकिन दिन के कारोबार में संभलते हुए संवेदी सूचकांक 200 अंकों की बढ़त के साथ बंद हुआ।  

इससे पहले सोमवार तक बाजार में लगातार गिरावट का सिलसिला जारी रहा। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बी.एस.ई.) के आंकड़ों के मुताबिक बी.एस.ई. पर लिस्डेट कंपनियों का मार्कीट कैपिटलाइजेशन 8 नवंबर को लगभग 112 लाख करोड़ रुपए था। 14 दिन से जारी नोटबंदी संकट के बाद 21 नवंबर को यह गिरकर 102 लाख करोड़ रुपए रह गया यानी इन 14 दिनों के दौरान इन कंपनियों के शेयर में निवेश कर बैठे लोगों को लगभग 10 लाख करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है।

टी.सी.एस. के 29 हजार करोड़, मारुति के 22 हजार करोड़ डूबे
मार्कीट कैप के हिसाब से सबसे ज्यादा नुकसान टी.सी.एस. पर देखने को मिला है। इस दौरान स्टॉक के करीब 6 फीसदी गिरने से मार्कीट कैप 29 हजार करोड़ रुपए घट गई है। वहीं मांग घटने की आशंका से ऑटो सेक्टर पर दबाव रहा है। नोट बंदी के फैसले के बाद से टाटा मोटर्स के मार्कीट कैप मे से 21 हजार करोड़ और मारुति सुजूकी के मार्कीट कैप से 22 हजार करोड़ रुपए साफ हो गए हैं। दूसरी तरफ गिरावट के बीच भी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने इस दौरान बढ़त दर्ज की, हालांकि ये बढ़त मामूली ही रही। 8 नवंबर को स्टॉक 253 के स्तर पर बंद हुआ था। वही मंगलवार को स्टॉक 257 पर बंद हुआ है यानि इसमें 1.58 फीसदी की बढ़त रही है यानि बैंक का मार्कीट कैप 3 हजार करोड़ रुपए बढ़ गया है। 

साल 2015 के आंकड़ें
एक साल पहले के आंकड़ों को देखें तो 21 नवंबर 2015 को प्रमुख सूचकांक 26,000 के स्तर के नीचे था। मार्च 2016 में बजट के दबाव में शेयर बाजार गोते खाता हुआ 23,000 के स्तर के निचे पहुंत गया था लेकिन इसके बाद शेयर बाजार ने अगले 8 महीनों (8 नवंबर) तक लंबी छलांग लगाते हुए 29,000 के उच्च स्तर को छू लिया। इस छलांग में माना जा रहा था कि बाजार अगले बजट (फरवरी 2017) तक 30,000 के स्तर को पार कर लेगा लेकिन नोटबंदी के फैसले ने बाजार का सेंटीमेंट इस कदर खराब किया कि बीते 8 महीनों के दौरान निवेशकों को हुआ सारा मुनाफा बराबर हो गया और बाजार एक बार फिर 2015 के स्तर पर पहुंच गया। 

हालांकि शेयर बाजार के जानकारों के मुताबिक बीते 14 दिनों से जारी गिरावट यह गिरावट सिर्फ नोटबंदी के चलते नहीं है। इस गिरावट के लिए कुछ हद तक अमरीका के राष्ट्रपति चुनावों में डोनाल्ड ट्रंप की जीत और एक बार फिर से इस कयास का लगना कि अमरीकी केन्द्रीय बैंक ब्याज दरों में इजाफा कर सकती है भी जिम्मेदार है।

शेयर बाजार में आई इस गिरावट का सबसे ज्यादा खामियाजा रियल एस्टेट, कंज्यूमर प्रोडक्ट और ऑटो कंपनियों को उठाना पड़ा है। बी.एस.ई. पर लिस्टेड महत्वपूर्ण 500 कंपनियों के इंडेक्स को सम्मिलित तौर पर लगभग 25 फीसदी का नुकसान उठाना पड़ा है।


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