टेंडर रूल्स में मनमानी पर बरसी Jio, कहा-2जी अनिवार्य होने से सरकार को होगा 5 हजार Cr. का नुकसान

punjabkesari.in Monday, Jul 02, 2018 - 07:16 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः रिलायंस जियो ने आरोप लगाया है कि सरकार वित्तपोषित मोबाइल सेवा परियोजनाओं के लिए 2जी प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की अनिवार्यता के निविदा नियमों से मौजूदा आपरेटरों को फायदा होगा। इससे सरकारी खजाने को करीब 5,000 करोड़ रुपए का नुकसान होगा। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली कंपनी ने यूनिवर्सल र्सिवस आब्लिगेशन फंड (यूएसओएफ) के प्रशासक संजय सिंह को इस बारे में पत्र लिखा है। इस पत्र की प्रति दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा और दूरसंचार सचिव अरुणा सुंदरराजन को भी भेजी गई है। उनसे इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की गई है। 

अंडमान निकोबार में 2जी टेक्नोलॉजी का यूज अनिवार्य बनाना गलत
जियो की ओर से 25 जून, 2018 को भेजे पत्र में कहा गया है, ‘‘हम यूएसओएफ के इस बेहद अनुचित भेदभावपूर्ण, अंकुश लगाने वाले और उलटे फैसले से काफी निराश हैं। हालिया निविदा में अंडमान निकोबार द्वीप समूह के लिए निकाली गई निविदा में वॉयस के लिए 2जी प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को अनिवार्य किया गया है, जबकि इस प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल नहीं करने की कई वजहें थीं।’’ 

अंडमान निकोबार में लगने हैं 214 टावर
दूरसंचार विभाग ने जून के पहले सप्ताह में अंडमान निकोबार द्वीप समूह के सुविधाओं से वंचित गांवों तथा राष्ट्रीय राजमार्गों पर 2जी और 4जी सेवाएं प्रदान करने के लिए 214 मोबाइल टावर लगाने को आवेदन आमंत्रित किए थे। इस परियोजना का वित्तपोषण यूएसओएफ से किया जाएगा। यूएसएफओ कोष दूरसंचार ग्राहकों द्वारा प्रत्येक कॉल के लिए किए गए भुगतान से बनाया गया है।       

जियो ने पत्र में आरोप लगाया है कि 2जी प्रौद्योगिकी की अनिवार्यता वाली इस परियोजना में मौजूदा आपरेटर अंडमान निकोबार द्वीप समूह में अपने पुराने और बेकार हो चुके 2जी नेटवर्क का इस्तेमाल करने के लिए करेंगे, वहीं देश के अन्य हिस्सों में वे अपने नेटवर्क को उन्नत कर 4जी करेंगे। इस बारे में दूरसंचार विभाग और जियो को भेजे ई-मेल का जवाब नहीं मिला।  

 


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Jyoti Chahar

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