कोरोना काल में हो रही छंटनी पर रतन टाटा हुए नाराज, बोले- सिर्फ मुनाफे के लिए नहीं होता बिजनेस

punjabkesari.in Friday, Jul 24, 2020 - 04:57 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः टाटा समूह के संरक्षक रतन टाटा ने कोविड-19 महामारी की वजह से हो रही छंटनी को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस के मुश्किल वक्त में लोगों के प्रति कंपनियों की जिम्मेदारी बनती है। उन्होंने योरस्टोरी को दिए एक इंटरव्यू में कहा, "उद्यमियों और कंपनियों के लिए लंबे समय तक काम करने और अच्छा प्रदर्शन करने के लिए कर्मचारियों के प्रति संवेदनशीलता सर्वोपरि है। महामारी के दौर में आप अपने कर्मचारियों के साथ ऐसा बर्ताव करते हैं, क्या यही आपकी नैतिकता है?"

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रतन टाटा ने कहा कि कोरोना के संकट ने हर उस जगह पर असर डाला है, जहां आप हैं। आपके लिए कुछ भी कारण हो सकते हैं। आपको अपने बचाव के लिए कदम भी उठाने होंगे और कुछ फैसले भी लेने होंगे। रतन टाटा ने कहा कि जब हर कोई मुनाफे की दौड़ में है तो यह सवाल भी उठता है कि आप अपनी यात्रा मूल्यों को कितना साथ लेकर चले। बिजनेस सिर्फ पैसे बनाने के लिए नहीं होता। किसी भी कंपनी को अपने स्टेकहोल्डर्स और ग्राहकों को लेकर सब कुछ सही और मूल्यों के आधार पर ही करना चाहिए।

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वायरस आते ही हजारों लोगों की नौकरियां चली गईं
उन्होंने कहा, "जब देश में वायरस का प्रकोप शुरू ही हुआ था तभी हजारों लोगों को नौकरी से निकाल दिया गया। क्या इससे आपकी समस्या हल हो सकती है? मुझे नहीं लगता कि ऐसा हो सकता है, क्योंकि आपको बिजनेस में नुकसान हुआ है, ऐसे में लोगों को नौकरी से निकाल देना सही नहीं है। बल्कि उन लोगों के प्रति आपकी जिम्मेदारी बनती है।"

"हम खुद को यह कहते हुए अलग नहीं कर पाएंगे कि हम ऐसा करना जारी रखेंगे, क्योंकि हम अपने शेयरधारकों के लिए ऐसा कर रहे हैं। आप इस माहौल में तब तक जीवित नहीं रहेंगे, जब तक कि आप संवेदनशील नहीं होते हैं, इसलिए सबसे पहले लोगों को उस कार्यस्थल के बारे में चिंतित होना चाहिए।"

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महामारी आपको सभी जगह हिट करेगी
उन्होंने कहा, "आपके पास छुपने या भागने के लिए कोई जगह नहीं है, आप जहां भी जाते हैं कोविड-19 महामारी आपको हिट करती है। ऐसे में बेहतर है कि स्थिति को स्वीकार करें। आपके कारण जो भी हो सकता हैं आपको उन बातों में बदलाव करना होगा, जिन्हें आप उचित या अच्छा मानते हैं या जीवित रहने के लिए आवश्यक है।"

कोरोनावायरस महामारी ने कई सेक्टर में बिजनेस को मुश्किल में डाल दिया है, उनमें से कई ने बिजनेस में बने रहने के लिए छंटनी और वेतन कटौती का सहारा लिया है। महामारी बढ़ते प्रकोप के कारण स्टार्टअप इकोसिस्टम से कई यूनिकॉर्न (7.4 हजार करोड़ रुपए वैल्यूएशन वाले स्टार्टअप्स) जैसे ओला, ओयो, स्विगी और जोमैटो को अपने कर्मचारियों के साथ-साथ व्यापार को भी कम करना पड़ा।

जिन मजदूरों ने आपके लिए काम किया, उन्हें छोड़ दिया
रतन टाटा ने महामारी के चलते प्रवासी और दिहाड़ी मजदूरों की स्थिति के बारे कहा कि आय का कोई सोर्स नहीं होने के कारण लॉकडाउन के दौरान प्रचंड गर्मी में बिना किसी सार्वजनिक परिवहन के उन्होंने घर वापसी की।

उन्होंने कहा, "देश की सबसे बड़ी श्रम शक्ति को कह दिया गया आपके लिए कोई काम नहीं है और आपको घर भेजने के साधनों का तरीका भी नहीं है। उनके खाने के लिए भोजन नहीं है, रहने के लिए जगह नहीं है। इसे लेकर किसी को दोष देने की इच्छा नहीं है, लेकिन यह पारंपरिक दृष्टिकोण था, अब वह दृश्य बदल गया है। आप ऐसा करने वाले कौन हैं?" ये वे लोग हैं जिन्होंने आपके लिए काम किया है, ये वही लोग हैं जिन्होंने अपने पूरे करियर के दौरान आपकी सेवा की है इसलिए आप उन्हें बारिश में रहने के लिए छोड़ देते हैं? आप अपनी लेबर फोर्स के साथ इस तरह का बर्ताव करते हैं, क्या आपकी नैतिकता की यही परिभाषा है?


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jyoti choudhary

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