कारोबारी घरानों को बैंकिंग लाइसेंस देने के खिलाफ रघुराम राजन, कहा- Bad Idea

punjabkesari.in Tuesday, Nov 24, 2020 - 11:09 AM (IST)

बिजनेस डेस्कः भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने भारतीय कॉरपोरेट घरानों को बैंक स्थापित करने की अनुमति देने की सिफारिश की आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि कॉरपोरेट घरानों को बैंक स्थापित करने की मंजूरी देने की सिफारिश आज के हालात में चौंकाने वाली है। उन्होंने इस सुझाव को 'बुरा विचार' कहा है। यह सिफारिश पिछले दिनों आरबीआई के इंटर्नल वर्किंग ग्रुप (IWG) ने दी थी।

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इन लोगों को बैंक खोलने की मंजूरी देने पर हो रहा विचार
आरबीआई के एक आंतरिक समूह ने निजी बैंकों के मालिकाना हक पर नए नियमों को लेकर बीते हफ्ते शुक्रवार को कई सिफारिशें की। इन सिफारिशों में ऐसे गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (NBFC) को बैंकिंग लाइसेंस देने की वकालत की गई है, जिनका असेट 50000 करोड़ रुपए से ज्यादा है और जिनका कम से कम 10 साल का ट्रैक रिकॉर्ड है और साथ ही बड़े औद्योगिक घरानों को भी बैंक चलाने की अनुमति दी जा सकती है। रिजर्व बैंक की समिति की सिफारिशें आने के साथ ही बहस भी शुरू हो गई है।

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RBI की समिति ने पिछले सप्ताह बड़े कॉरपोरेट घरानों को बैंक का प्रमोटर बनने की इजाजत देने की सिफारिश दी थी। उन्होंने निजी बैंकों में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी की अधिकतम सीमा को वर्तमान 15 फीसदी से बढ़ाकर 26 फीसदी करने का भी सुझाव दिया था। समिति का सुझाव है कि बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 1949 में जरूरी संशोधन के बाद कॉरपोरेट हाउसेज को बैंक का प्रमोटर बनने की इजाजत दी जानी चाहिए ताकि बैंक और अन्य फाइनेंशियल व नॉन फाइनेंशियल ग्रुप कंपनियों के बीच कनेक्टेड लेंडिंग और एक्सपोजर से बचा जा सके।

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कॉरपोरेट्स घरानों को अनुमति देने की सिफारिश एक बम जैसा 
राजन और आचार्य ने अपने लेख में कहा है कि बैंकिंग क्षेत्र में कॉरपोरेट्स घरानों को अनुमति देने की सिफारिश एक बम जैसा है। उन्होंने कहा है कि उन कनेक्शनों को समझ पाना हमेशा मुश्किल हो जाता है जब औद्योगिक घराने का हिस्सा बनते हैं। दोनों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि भले ही RBI बैंकिंग लाइसेंस को निष्पक्ष रूप से आवंटित करता है लेकिन यह उन बड़े व्यापारिक घरानों को अनुचित लाभ देगा जो पहले से ही शुरुआती पूंजी रखते हैं।

सिफारिश की टाइमिंग पर भी उठाया सवाल
उन्होंने प्रस्ताव की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए कहा कि भारत अभी भी IL&FS और यस बैंक की विफलताओं से सबक लेने की कोशिश कर रहा है। राजन ने कहा कि IWG की कई सिफारिशें स्वीकार करने योग्य हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र में भारतीय कारोबारी घरानों को प्रवेश देने की उसकी मुख्य सिफारिश को ठंडे बस्ते में डाल देना चाहिए।
 


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jyoti choudhary

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