63 साल पुराने Income Tax कानून को बदलने की तैयारी, बजट स्पीच में वित्त मंत्री कर सकती हैं ऐलान

punjabkesari.in Saturday, Jan 18, 2025 - 11:20 AM (IST)

बिजनेस डेस्कः वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (nirmala sitharaman) बजट सत्र में नया प्रत्यक्ष कर कानून विधेयक पेश करने की तैयारी कर रही हैं। इस विधेयक में कर प्रावधानों को सरल बनाकर, अनावश्यक प्रावधानों को हटाने और भाषा को आम जनता के लिए अधिक सुलभ बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार, 63 साल पुराने आयकर अधिनियम को बदलने के लिए प्रस्तावित नया कानून दो या तीन भागों में हो सकता है।

सरकार ने यह निर्णय लिया है कि मसौदा कानून को सीधे सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए जारी करने के बजाय, इसे पहले संसद में पेश किया जाएगा। इसके बाद टैक्सपेयर्स और विशेषज्ञों से प्राप्त सुझावों के आधार पर इसमें संशोधन किया जा सकता है। यह कदम जटिल कर कानूनों को लेकर हो रही आलोचनाओं के बीच उठाया गया है।

समिति और मंत्रालय के प्रयास

वित्त मंत्रालय और पीएमओ के अधिकारियों ने पिछले छह से आठ हफ्तों में पैनल के साथ मिलकर काम किया है, ताकि बजट पेश होने से पहले विधेयक तैयार हो जाए। इस बारे में वित्त मंत्री ने जुलाई 2024 के बजट में घोषणा की थी।

बजट भाषण में जिक्र संभव

यह संभावना जताई जा रही है कि निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को अपने बजट भाषण में नए कानून का जिक्र करेंगी। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि विधेयक को बजट सत्र के पहले भाग में पेश किया जाएगा या दूसरे भाग में।

सरकार को क्या है डर

2010 में संसद में प्रत्यक्ष कर संहिता विधेयक पेश किए जाने के बाद से आयकर अधिनियम को नए सिरे से परिभाषित करने का यह कम से कम तीसरा प्रयास है। मोदी सरकार ने विशेषज्ञों का एक पैनल गठित किया था, जिनकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई और सिफारिशों को बड़े पैमाने पर स्वीकार नहीं किया गया। समिति को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि पुराने कानून से हजारों प्रावधानों को नए कानून में हटा दिया जाए। इस कानून में कई ऐसी धाराएं हैं जिन्हें पिछले कुछ वर्षों में आयकर अधिनियम से हटा दिए जाने के कारण अनावश्यक बना दिया गया है।

एक सूत्र ने कहा कि आम आदमी के लिए भाषा को समझना मुश्किल हो सकता है और समिति को इसे यथासंभव सरल बनाने के लिए कहा गया है लेकिन सरकार प्रस्तावित कानून में नए मुद्दों को शामिल नहीं कर रही है, कम से कम फिलहाल तो नहीं। हालांकि अधिकारियों ने आगाह किया कि भाषा में बदलाव मुकदमेबाजी का कारण बन सकता है। इसकी वजह यह है कि टैक्सपेयर्स कई मामलों में नई व्याख्या चाहेंगे।
 


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Content Writer

jyoti choudhary

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