पेंट के दाम पर नहीं होगा जी.एस.टी. का असर

punjabkesari.in Saturday, Jun 10, 2017 - 03:49 PM (IST)

नई दिल्लीः वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) के अंतर्गत पेंट के दाम स्थिर रहने की उम्मीद है। इस वजह से इस क्षेत्र में जी.एस.टी. का कोई असर नहीं दिखेगा। पेंट पर जी.एस.टी. की दर 28 प्रतिशत है जो मौजूदा प्रभावी करों का ही कुल योग है। इस पर 12.5 प्रतिशत का उत्पाद शुल्क लगता है और राज्य 12.5-14.5 प्रतिशत का वैट लगाते हैं। पेंट कंपनियां उत्पाद शुल्क पर 1.67 प्रतिशत अतिरिक्त वैट का भी भुगतान करती हैं। 40,300 करोड़ रुपए के इस उद्योग में सजावटी पेंट खंड का योगदान 70 प्रतिशत रहता है और पॉउडर कोटिंग खंड का हिस्सा 3-4 प्रतिशत।

कीमतों में नहीं होगा बदलाव
इंडियन पेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष और बर्जर पेंट्स के मुख्य कार्याधिकारी एवं प्रबंध निदेशक अभिजीत रॉय ने कहा कि जी.एस.टी. से उपभोक्ता के लिए तो कीमत में कोई परिवर्तन नहीं होगा, हालांकि व्यापारियों को कुछ सामंजस्य करना होगा। इसके अलावा, इस साल पूर्व में इजाफे के बाद कच्चे माल के दाम स्थिर हो चुके हैं। उस दौरान महंगी विनाइल एसेटेट मोनोमेर और टाइटैनियम डाइऑक्साइड ने पेंट कंपनियों पर 5.5 प्रतिशत कीमत वृद्धि का दबाव डाला था। रॉय ने कहा कि जो रुख दिखाई दे रहा है उसके अनुसार पेंट की कीमतो में कोई बदलाव नहीं होने वाला है। हालांकि जी.एस.टी. लागू होने के बाद उद्योग पर कम से कम एक महीने तक तो शुरुआती दबाव अनुभव होगा। फिर भी उद्योग को यकीन है कि जिन व्यापारियों और विक्रेताओं को जी.एस.टी. का पालन करना है वे 1 जुलाई की निर्धारित तिथि से पहले ही इसके लिए तैयार हो जाएंगे।
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उद्योग की बिक्री में 10 प्रतिशत इजाफा होने की उम्मीद
निप्पॉन पेंट (इंडिया) में सजावटी कारोबार के अध्यक्ष एस महेश आंनद ने कहा कि शुरुआत में अगर मांग गिर भी जाए तो भी आने वाले महीनों में इस कमी को पूरा किया जा सकता है। हाल तक एशियन पेंट्स के बोर्ड में रहे जलज दानी के अनुसार मात्रा के रूप में उद्योग की बिक्री में 10 प्रतिशत और राजस्व के रूप में 15 प्रतिशत का इजाफा होने की उम्मीद है। यह देखने की जरूरत है कि जी.एस.टी. कैसा रहता है। व्यापार का असंगठित भाग कर बचाता रहा है और शायद आगे भी ऐसा करना जारी रख सकता है। एक साल से अधिक की तिथि का स्टॉक रखने वाली कंपनियां अपनी इस मालसूची के लिए इनपुट क्रेडिट का दावा नहीं कर पाएंगी। हालांकि पेंट कंपनियों की मालसूची में ऐसा स्टॉक 1-2 प्रतिशत ही रहता है।


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