फेस्टिव सीजन में Online shopping करने वाले रहें सतर्क, बढ़े धोखाधड़ी के मामले

punjabkesari.in Saturday, Oct 11, 2025 - 03:18 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः जैसे-जैसे दीवाली नजदीक आ रही है, साइबर अपराधी भी त्योहारी उत्साह का फायदा उठाकर ऑनलाइन खरीदारी करने वाले लोगों को ठगने की कोशिश कर रहे हैं। साइबर सुरक्षा फर्म मैकैफी के हालिया शोध से पता चला है कि करीब हर तीन में एक भारतीय उपभोक्ता छुट्टियों से जुड़ी धोखाधड़ी का शिकार हो चुका है और इनमें से 37 फीसदी ने आर्थिक नुकसान होने की जानकारी दी है।

AI और डीपफेक तकनीक से हो रहा शिकार

अध्ययन में यह भी सामने आया है कि साइबर अपराधी ऑनलाइन खर्च में वृद्धि का फायदा उठाने के लिए कई तरह की तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जैसे डीपफेक के जरिये हस्तियों के विज्ञापन, फर्जी मेसेज, फर्जी ईमेल और वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) का दुरुपयोग। मैकैफी में वरिष्ठ निदेशक प्रतिम मुखर्जी का कहना है कि त्योहारों का मौसम खुशियों का समय होता है लेकिन अब धोखेबाज इस दौरान लोगों को अपना शिकार बनाने की कोशिश कर रहे हैं। बदलती तकनीक और एआई आधारित फर्जीवाड़ा ऑनलाइन खरीदारी करने वालों के लिए नया जोखिम पैदा कर रहा है।

ऑनलाइन शॉपिंग का बढ़ता चलन

भारत में लोग त्योहारी खरीदारी अब ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से करना पसंद कर रहे हैं। बेहतर छूट, सुविधा, अधिक विकल्प और तेज डिलीवरी जैसी वजहों से 64 फीसदी उपभोक्ता ऑनलाइन खरीदारी को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसके साथ ही 77 फीसदी लोग मोबाइल के जरिए ही शॉपिंग करते हैं और 25 से 44 वर्ष के युवा सबसे बड़े डिजिटल खरीदारी उपयोगकर्ता बने हैं।

उपभोक्ताओं की बढ़ती सतर्कता

इस तेजी के साथ ही खरीदारों को ऑनलाइन धोखाधड़ी का सामना भी करना पड़ रहा है। करीब 96 फीसदी भारतीय ग्राहक ऑनलाइन फर्जीवाड़े को लेकर गंभीर चिंता जताते हैं और 72 फीसदी लोग पिछले साल की तुलना में इस साल एआई आधारित धोखाधड़ी के बारे में अधिक सतर्क हैं। 91 फीसदी उपभोक्ताओं ने बताया कि उन्हें खरीदारी से जुड़े संदिग्ध मेसेज मिले, जिनमें फर्जी गिफ्ट कार्ड, सीमित समय की छूट और रिफंड से जुड़ी जानकारियां शामिल हैं।

आर्थिक और भावनात्मक नुकसान

औसतन, एक भारतीय को रोजाना 12 बार धोखाधड़ी के प्रयास का सामना करना पड़ता है, जिनमें टेक्स्ट मैसेज, फर्जी ईमेल और सोशल मीडिया विज्ञापन शामिल हैं। सबसे बड़ा खतरा डीपफेक से तैयार किए गए सेलेब्रिटी विज्ञापन और नकली ई-कॉमर्स वेबसाइट से है, जिससे असली और नकली में अंतर करना मुश्किल हो गया है। फर्जीवाड़े का असर केवल आर्थिक नुकसान तक सीमित नहीं है, बल्कि 91 फीसदी पीड़ितों ने क्रोध, चिंता और शर्मिंदगी जैसी भावनाओं की बात कही, जबकि 28 फीसदी लोग अपने अनुभव सार्वजनिक रूप से शायद ही कभी साझा करते हैं।


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Content Writer

jyoti choudhary

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