भारत में ऐपल के आपूर्तिकर्ताओं की बढ़ सकती है संख्या
punjabkesari.in Tuesday, Dec 20, 2022 - 02:18 PM (IST)

नई दिल्लीः खबर है कि ऐपल पूरे देश में आईफोन की उत्पादन क्षमता को तीन गुना करना चाहती है, ऐसे में देश आपूर्ति का हब भी बन सकता है और यह भी संभव है कि भारत, अमेरिका को भी आईफोन की आपूर्ति करने लगे। दुनिया भर में ऐपल के 190 आपूर्तिकर्ता हैं लेकिन सिर्फ 12 आपूर्तिकर्ताओं का ही भारत में निर्माण केंद्र है।
ऐपल की रणनीति भारत की ओर अपना ध्यान केंद्रित करना है और जैसे कि कंपनी चीन से बाहर अपने व्यापार को कई देशों में फैलाना चाहती है, यह दूसरे देशों के व्यापार पर भी पकड़ बनानी चाहती है। रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी तकनीकी दिग्गज ने अपने तीन विक्रेताओं- फॉक्सकॉन, पेगाट्रॉन और विस्ट्रॉन को भारत में उत्पादन क्षमता बढ़ाने का निर्देश दिया है।
जेपी मॉर्गन ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट में बताया कि ऐपल अपने उत्पादन को कई देशों में फैलाना चाहती है, जिसके तहत यह योजना है कि भारत में 2025 तक 25 फीसदी मोबाइल हैंडसेट का उत्पादन शुरू कर दिया जाए। इंटरनैशनल कंसल्टेंसी आर्थर डी लिटिल, इंडिया में मैनेजिंग पार्टनर बार्निक मैत्रा ने कहा कि ऐपल की यह रणनीति कई अन्य मोबाइल उत्पादकों को भी प्रोत्साहित करेगी कि वह फैब्रिकेशन और सेमीकंडक्टर सेगमेंट की आपूर्ति भारत से करें।
रोजगार की दृष्टि से भी देखा जाए तो इस विस्तार से लगभग 50 लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से नौकरियां मिलेगी। ऐपल ने बि़जनेस स्टैंडर्ड के सवाल का कोई जवाब नहीं दिया। भारत में ऐपल के 12 आपूर्तिकर्ताओं में से पांच तमिलनाडु में हैं जो, फ्लेक्स, ऑनर हाई प्रिसीजन इंडस्ट्री कंपनी (फॉक्सकॉन का औपचारिक नाम), लिंगी आईटेक, पेगाट्रॉन कॉरपोरेशन. ताईवान सरफेस माउंटिंग टेक्नोलॉजी और जेन डिंग टेक्नोलॉजी होल्डिंग है। इसके अलावा दो कर्नाटक से हैं- विस्ट्रॉन कॉरपोरेशन और सेनजेन यूटो पैकेजिंग टेक्नोलॉजी।
आंध्र प्रदेश से सेंग उई प्रिसीजन इंडस्ट्री कंपनी, महाराष्ट्र से जबिल इनकॉरपोरेटेड, और उत्तर प्रदेश की सनवोडा इलेक्ट्रॉनिक्स अन्य राज्यों में स्थापित कंपनियां हैं। ऐपल के अनुसार, ये कंपनियां एक लंबी सूची का हिस्सा हैं, जो वित्तीय वर्ष 2021 के लिए दुनिया भर में सामग्री, निर्माण और उत्पादों की असेंबली के लिए अपने प्रत्यक्ष खर्च का 98 फीसदी हिस्सेदारी दर्शाती हैं। उद्योग के विशेषज्ञों ने कहा कि ऐपल की विस्तार योजनाओं से कंपनियों को अपने चिप और कलपुर्जे के लिए एक निश्चित उपयोगकर्ता प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।
अनिल अग्रवाल के नेतृत्व वाले वेदांत समूह ने दो अलग-अलग उपक्रमों की योजना बनाई है जिसके तहत भारत में चिप और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में 15 अरब डॉलर के निवेश हो सकते हैं। कलपुर्जा आपूर्तिकर्ताओं से भारत में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की उम्मीद है। टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स तमिलनाडु के होसुर स्थित अपने संयंत्र में और 8,000 नौकरियां जोड़ने वाली है। ईएमएस (इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सर्विसेज) कंपनी विशेष आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भर करते हैं कि ब्रांड उन्हें आपूर्ति करने के लिए कहता है या नहीं। ईएमएस की भूमिका केवल असेम्बलिंग करना है।
वर्तमान में, आपूर्ति का एक बड़ा हिस्सा ताइवान, चीन, जापान और कोरिया जैसे देशों से आ रहा है। भारत में अधिक क्षमता जोड़ने का मतलब है कि ये कंपनियां भारत में अपनी विनिर्माण इकाइयां भी स्थापित करेंगी। फॉक्सकॉन ने हाल ही में घोषणा की कि वह उत्पादन बढ़ाने के लिए अपनी भारतीय इकाई में 50 करोड़ डॉलर का निवेश करेगी। इसके बाद, ऐसी खबरें थीं कि यह तमिलनाडु में अपनी श्रीपेरंबुदूर इकाई में 50,000 से अधिक नौकरियां जोड़ सकती है।
हालांकि सूत्रों ने बताया कि कंपनी की योजना वर्तमान में कर्मचारियों की संख्या को लगभग 15,000 से बढ़ाकर 18,000 करने की है। सितंबर में, ताइवान की पेगाट्रॉन चेन्नई में महिंद्रा वर्ल्ड सिटी में लगभग 1,100 करोड़ रुपए का निवेश करके भारत में एक विनिर्माण इकाई स्थापित करने वाली तीसरी ऐप्पल विक्रेता इकाई (फॉक्सकॉन और विस्ट्रॉन के बाद) बन गई, इससे लगभग 14,000 नौकरियां पैदा हो रही हैं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, अगले दो वर्षों में आईफोन का घरेलू उत्पादन लगभग 1.2-1.5 करोड़ तक हो जाएगा। इसके साथ ही 2022 में करीब 70 लाख आईफोन बेचे जाने की उम्मीद है।