मुनाफाखोरीः 50 से ज्यादा बिल्डर्स आए जी.एस.टी. की जांच के दायरे में

punjabkesari.in Wednesday, May 08, 2019 - 10:45 AM (IST)

नई दिल्लीः भारत के कुछ शीर्ष बिल्डरों सहित 50 से अधिक प्रॉपर्टी डिवैल्पर्स (बिल्डर्स) को वस्तु और सेवा कर (जी.एस.टी.) के तहत मुनाफाखोरी के लिए जांच का सामना करना पड़ रहा है। डिवैल्पमैंट नियमों बारे जागरूक एक व्यक्ति ने यह जानकारी दी। मुनाफाखोरी निरोधक महानिदेशालय (डी.जी.ए.पी.) द्वारा की गई जांच से यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि बिल्डरों ने खरीदारों को इनपुट टैक्स क्रैडिट का लाभ देने में नाकाम रहने पर अनुचित लाभ कमाया या नहीं। जांच के दायरे में आई कंपनियां देशभर में फैली हुई हैं और रियल एस्टेट उद्योग से जुड़े कुछ बड़े नाम भी इसमें शामिल हैं। अगले कुछ महीनों में जांच रिपोर्ट आने की उम्मीद है। 

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जुलाई, 2017 में जी.एस.टी. लागू होने से पहले केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा निर्माणाधीन संपत्ति पर लगाए गए विभिन्न करों को 5.5-6.5 प्रतिशत तक जोड़ा गया था। जी.एस.टी. के तहत रियल एस्टेट को 12 प्रतिशत टैक्स स्लैब के तहत रखा गया था। कई बिल्डरों ने कीमतें बढ़ा दीं ताकि वह उन उत्पादों और सेवाओं के खिलाफ इनपुट टैक्स क्रैडिट का दावा कर सकें, जिन पर उन्होंने पहले ही टैक्स चुकाया था।

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उक्त व्यक्ति ने बताया, ‘‘जी.एस.टी. से पहले सीमैंट और स्टील जैसी निर्माण सामग्री पर कोई इनपुट टैक्स क्रैडिट सुविधा नहीं थी जोकि जी.एस.टी. शासन (मार्च-अंत तक) में थी। यह मूल्य में कटौती के लिए है, न कि मूल्य वृद्धि के लिए।’’ जी.एस.टी. लागू होने के 21 महीनों के बाद नई परियोजनाओं के लिए अंतत: 1 अप्रैल को कर क्रैडिट सुविधा वापस ले ली गई थी, क्योंकि संघीय अप्रत्यक्ष कर निकाय जी.एस.टी. परिषद को लगा कि उपभोक्ताओं को इसका लाभ नहीं मिल रहा है।

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निर्माणाधीन संपत्तियों पर अब कर की दर 5%
जुलाई, 2017 में नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था लागू होने से पहले केंद्र सरकार द्वारा ज्यादातर निर्माण सामग्री पर 12.5 प्रतिशत की दर से उत्पाद शुल्क लगाया जाता था, जबकि राज्य सरकारें 12.5-14.5 प्रतिशत वैट वसूलती थीं। हालांकि इन लेवियों के लिए भुगतान की गई राशि 4.5 प्रतिशत सेवा कर और 1-2 प्रतिशत वैट (राज्य के आधार पर) के तहत समायोजित करने के लिए क्रैडिट के रूप में उपलब्ध नहीं थी, जो ग्राहक को बेचे गए निर्माणाधीन फ्लैट पर लगाया गया था। एक बार निर्माणाधीन संपत्तियों पर कर की दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गई और किफायती आवास परियोजनाओं पर 8 प्रतिशत से 1 प्रतिशत तक इनपुट टैक्स क्रैडिट वापस ले लिए गए। 
 


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jyoti choudhary

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