मल्टीनैशनल कम्पनियों की टैक्स चोरी पकड़ेंगे भारत-अमरीका

punjabkesari.in Friday, Mar 29, 2019 - 12:30 PM (IST)

नई दिल्ली: भारत और अमरीका में चल रही ट्रेड वार के बीच एक अच्छी खबर भी है। दोनों देशों में काम कर रही मल्टीनैशनल कम्पनियों द्वारा की जा रही टैक्स चोरी पर बड़ा फैसला हुआ है। चोरी पर अंकुश लगाने के लिए एक समझौता किया गया है जिसमें टैक्स की रिपोर्ट का आदान-प्रदान कर चोरी पकड़ी जाएगी। 

वित्त मंत्रालय के बयान के अनुसार द्विपक्षीय सक्षम प्राधिकरण व्यवस्था के साथ उक्त समझौते से दोनों देश बहुराष्ट्रीय (मल्टीनैशनल) कम्पनियों की मूल इकाइयों द्वारा संबंधित क्षेत्रों में जमा की गई देश-दर-देश (सी.बी.सी.) रिपोर्ट का स्वत: आदान-प्रदान कर सकेंगे। यह 1 जनवरी, 2016 या उसके बाद के वर्ष से जुड़ी रिपोर्ट पर लागू होगा। समझौते पर केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सी.बी.डी.टी.) के चेयरमैन पी.सी. मोदी और भारत में अमरीकी राजदूत केनेथ जस्टर ने दस्तखत किए।

मकसद सीमा पार कर चोरी रोकना
समझौते का मकसद सीमा पार कर चोरी पर अंकुश लगाना है। इससे अमरीकी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की होल्डिंग वाली भारतीय इकाइयों द्वारा सी.बी.सी. रिपोर्ट स्थानीय स्तर पर जमा करने की जरूरत नहीं होगी। इससे संबंधित इकाइयों पर बोझ कम होगा। भारत सी.बी.सी. रिपोर्ट के आदान-प्रदान को लेकर पहले ही बहुपक्षीय योग्य प्राधिकरण समझौते (एम.सी.ए.ए.) पर हस्ताक्षर कर चुका है। इससे 62 क्षेत्रों के साथ रिपोर्ट का आदान-प्रदान हो सकेगा।  

रिपोर्ट में होती है हर जानकारी
बहुराष्ट्रीय कम्पनी की मूल इकाई को उस क्षेत्र में निर्धारित प्राधिकरण (आथोराइजेशन) के पास सी.बी.सी. रिपोर्ट जमा करनी होती है, जहां की वह निवासी है। विभिन्न देशों के बीच इस प्रकार की रिपोर्ट का आदान-प्रदान ओ.ई.सी.डी./जी-20 बी.ई.पी.एस. (आधार क्षरण और मुनाफे का हस्तांतरण) पर होता है। सी.बी.सी. रिपोर्ट में किसी भी बहुराष्ट्रीय कम्पनी की देश-दर-देश सूचना होती है। इसमें बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की आय के वैश्विक आबंटन, कर भुगतान तथा कुछ अन्य संकेतकों के बारे में जानकारी होती है। इसमें समूह की सभी कम्पनियों की सूची होती है जो क्षेत्र विशेष में परिचालन करती हैं और इन सभी इकाइयों की मुख्य व्यापार गतिविधियों की प्रवृत्ति का भी जिक्र होता है।


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jyoti choudhary

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