छूट में कटौती से भारत को रूस से महंगे दाम पर खरीदना पड़ेगा क्रूड
punjabkesari.in Wednesday, Jul 26, 2023 - 03:54 PM (IST)

नई दिल्लीः वैश्विक बाजार में कीमतें तीन महीने के उच्च स्तर पर पहुंचने के बीच रूस कच्चे तेल के निर्यात पर छूट में कटौती पर विचार कर रहा है। मास्को के इस कदम से भारत को रूस से महंगे दाम पर कच्चा तेल खरीदना पड़ सकता है। इससे घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल की कीमतें और बढ़ सकती हैं।
रूस के वित्त मंत्री एंटोन सिलुआनोव ने मंगलवार को कहा, मास्को पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बाद वित्त मंत्रालय कच्चे तेल के निर्यात पर करों की गणना में सुधार के लिए और उपायों पर विचार कर रहा है। इसी कड़ी में हमने कच्चे तेल (ब्रेंट क्रूड) के निर्यात पर मौजूदा छूट को 25 डॉलर से घटाकर 20 डॉलर प्रति बैरल करने की योजना बनाई है। दरअसल, यूक्रेन पर आक्रमण के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर कच्चे तेल के निर्यात पर 60 डॉलर प्रति बैरल की सीमा तय करने के साथ कई प्रतिबंध लगा दिए। इसने रूस को कच्चे तेल की बिक्री पर कर लगाने के तरीकों में बदलाव को मजबूर किया। रूसी वित्त मंत्री ने कहा कि ब्रेंट क्रूड की करीब 80 डॉलर प्रति बैरल की मौजूदा कीमत पर वित्त मंत्रालय 2023 में तेल और गैस बेचकर 8 लाख करोड़ रूबल (88.5 अरब डॉलर) जुटा सकेगा।
इस साल के पहले छह महीने में रूस को तेल और गैस से होने वाली कमाई में 47 फीसदी की गिरावट आई है। इसकी भरपाई के लिए वह कच्चे तेल के निर्यात पर छूट में कटौती की तैयारी में है। सिलुआनोव ने कहा कि तेल-गैस राजस्व में वृद्धि होने पर इस साल के अंत तक हमारा बजट घाटा कम होकर जीडीपी के 2.5% तक रह सकता है।
क्रूड तीन माह के उच्च स्तर पर
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़कर तीन महीने के उच्च स्तर 82.70 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गईं। कम आपूर्ति के संकेतों और चीन के अधिकारियों के दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को सहारा देने के वादे से कच्चे तेल को समर्थन मिला। हालांकि, पश्चिमी देशों के कमजोर आर्थिक आंकड़ों से क्रूड की तेजी पर कुछ अंकुश लगा। ब्रेंट क्रूड की कीमतें 4 सेंट या 0.05 फीसदी बढ़कर 82.70 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गईं। हालांकि, डब्ल्यूटीआई क्रूड 78.74 डॉलर प्रति बैरल पर स्थिर रहा।
एक लाख करोड़ रुपए पहुंच सकता है तेल कंपनियों का परिचालन लाभ
सरकारी तेल कंपनियों को चालू वित्त वर्ष में एक लाख करोड़ रुपये का परिचालन लाभ हो सकता है। यह पिछले वित्त वर्ष के 33,000 करोड़ की तुलना में तीन गुना और 2017 से 2022 के बीच सालाना 60,000 करोड़ के मुकाबले 65 फीसदी अधिक हो सकता है। क्रिसिल के अनुसार, कंपनियों का रिफाइनिंग मार्जिन औसत रिकॉर्ड 15 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया है। क्रूड की ऊंची कीमतों के बाद भी कंपनियों ने मई, 2022 से खुदरा दरों में कोई परिवर्तन नहीं किया है।