India-UK FTA: जुलाई में होगा ब्रिटेन संग एफटीए, कुछ विषयों पर दोनों पक्षों के बीच मतभेद

punjabkesari.in Friday, Mar 22, 2024 - 12:55 PM (IST)

नई दिल्लीः काफी टालमटोल के बाद भारत और ब्रिटेन इस साल जुलाई मध्य तक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। समझौता परवान चढ़ने के बाद भारत के कपड़ा, मशीनरी, वाहन कल-पुर्जे एवं जलीय उत्पादों को एक बड़ा बाजार मिल जाएगा। इन क्षेत्रों में अधिक मानव श्रम की जरूरत पड़ती है।

ब्रिटेन के साथ व्यापार समझौता करना राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल रहा है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि सौदे से जुड़े कानूनी पहलुओं पर काम चल रहा है। सौदा लगभग तय हो चुका और एक छोटा सा हिस्सा रह गया है, जिस पर अभी बातचीत चल रही है। मगर सारी बातें पक्की होने के बाद भी फिलहाल इस व्यापार समझौते की घोषणा नहीं हो सकती क्योंकि भारत में लोकसभा चुनाव की तारीखें घोषित हो चुकी हैं।

भारत और ब्रिटेन के बीच एफटीए पर चर्चा का आखिरी चरण मार्च के पहले सप्ताह में पूरा हो गया था मगर दोनों पक्ष अब भी ऑनलाइन बातचीत कर रहे हैं। भारत में आम चुनाव के बाद नतीजे जून के पहले हफ्ते में घोषित हो जाएंगे। इसके बाद भी एफटीए की समयसीमा को अंतिम रूप देने का अहम काम बाकी रह जाएगा क्योंकि तब तक ब्रिटेन में आम चुनाव का वक्त करीब आ जाएगा।

विवादित मसलों का समाधान करने के लिए दोनों पक्षों के बीच पिछले दो महीनों से तगड़ी माथापच्ची चल रही थी। व्यापार से जुड़े मसलों पर मतभेद दूर करने के लिए इस साल दो बार लंदन से प्रतिनिधिमंडल भारत आ चुका है। वाणिज्य सचिव सुनील बड़थ्वाल के नेतृत्व में भारत से भी एक प्रतिनिधिमंडल चर्चा के लिए लंदन गया था।

पिछले सप्ताह ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने एफटीए जल्द पूरा करने के लिए टेलीफोन पर चर्चा की थी। इससे दोनों देशों के वार्तकारों के लिए इस विषय पर और आगे बढ़ने का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है।

अधिकारी ने कहा, ‘भारत और ब्रिटेन आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले ही एफटीए की घोषणा करना चाहते थे मगर कुछ मुद्दों पर बात नहीं बन पाई और ऐसा नहीं हो सकता। इसी वजह से निर्णय लिया गया कि सौदे पर किसी तरह की हड़बड़ी ठीक नहीं होगी और पूरे इत्मीनान के साथ इसे पूरा किया जाएगा। भारत चाहता है कि सौदे के ज्यादातर हिस्से पर बात बनने की घोषणा के बारे में सोचा जाए।’

एफटीए में अलग से एक द्विपक्षीय निवेश संधि (बीआईटी) भी शामिल है, जिस पर वित्त मंत्रालय चर्चा कर रहा है। बीआईटी बड़ा विषय है, जिस पर दोनों पक्षों के बीच सहमति नहीं बन पाई है। अधिकारी ने कहा, ‘लंदन बीआईटी पर सहमति कायम किए बिना एफटीए पर हस्ताक्षर नहीं करना चाहता है। इसी वजह से समझौता मुकाम तक नहीं पहुंच पाया है।’ भारत भी बीआईटी पर हस्ताक्षर करना चाहता है मगर उसके लिए यह बड़ी प्राथमिकता नहीं है।


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Content Writer

jyoti choudhary

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