''मजबूत होना चाहिए भारत का फाइनेंशियल सेक्टर, वरना तबाह हो जाएगी अर्थव्यवस्था''

punjabkesari.in Monday, Apr 13, 2020 - 11:23 AM (IST)

बिजनेस डेस्कः देश के प्रमुख औद्योगिक घरानों में से एक एचडीएफसी समूह के चेयरमैन दीपक पारेख ने सिफारिश की है कि भारत का फाइनेंशियल सेक्टर मजबूत होना चाहिए, वरना अर्थव्यवस्था तबाह हो जाएगी। साथ ही उन्होंने गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों यानी एनबीफएसी को रेगुलेट करने पर जोर दिया है। दीपक पारेख की यह सिफारिश हालांकि कोविड-19 के समय आई है, पर इसका आशय उन घटनाओं से भी लगाया जा रहा है, जो पिछले कुछ समय में एनबीएफसी के डिफॉल्ट को लेकर चर्चाओं में थीं।

NBFC में बैंकों का 12 लाख करोड़ का एक्सपोजर
दीपक पारेख ने कहा कि भारतीय बैंकों का 12 लाख करोड़ रुपया एनबीएफसी सेक्टर में एक्सपोजर के रूप में है और यह आईएलएंडएफएस के समय से है। यह पूरे सेक्टर को क्रेडिट क्राइसिस के रूप में प्रभावित कर सकता है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने पीएमसी बैंक और आईएल एंड एफएस के लिए भी ऐसा ही किया होता, जिस तरह से सरकार ने सार्वजनिक निजी भागीदारी के माध्यम से यस बैंक संकट को संभालने के लिए किया।

9 महीने लगेंगे पूरी तरह से रिकवरी में
दीपक पारेख ने कहा है कि मौजूदा संकट ह्यूमन इकोनॉमिक फाइनेंशियल क्राइसिस के रूप में है जो साल 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट से पूरी तरह अलग है। उन्होंने कहा कि इससे पूरी तरह रिकवरी करने में कम से कम 9 महीने लग सकते हैं। कोविड-19 ने दुनियाभर में जीवन और अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया है और भारत भी इससे अछूता नहीं है। भारत में अब तक 272 लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि भारत अभी भी दुनिया भर के प्रभावित देशों में कोविड-19 के मरीजों की तुलना में सबसे कम संख्या वाले देशों में है। चिंता की बात यह है कि अप्रैल महीने में देश में कोरोना ने जबरदस्त तरीके से प्रभावित किया है।

गरीबों को गरीबी से बाहर लाने के लिए उठाएं कदम
पारेख ने कहा कि गरीबों को अधिक समर्थन दिया जाना चाहिए और उन्हें गरीबी से बाहर लाने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। किसी भी संकट में वे सबसे पहले प्रभावित होते हैं और रिकवर आखिर में होता है। वे राष्ट्र की रीढ़ हैं। उन्हें उम्मीद है कि सरकार सोमवार को प्रोत्साहन योजना ला सकती है। इसके साथ ही, पारेख ने जटिल टैक्स नियमों को हटाने पर जोर दिया। उन्होंने चेतावनी दी कि क्रेडिट जोखिमों को देखते हुए बैंक लोन देने में भारी कटौती कर सकते हैं।

विनिर्माण को फिर से शुरू करना मुश्किल
पारेख ने चिंता व्यक्त की कि विनिर्माण को फिर से शुरू करना मुश्किल है, क्योंकि श्रम बल को जिंदगी या आजीविका के डर के बीच एक को चुनने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। इसे मैनेज करने के लिए, मजदूरों को लौटने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, मैनेजमेंट को उनके जिंदगी की सुरक्षा, भोजन और रहने की गरांटी देनी चाहिए। पारेख के मुताबिक संकट के बाद बिलियन डॉलर के स्टार्टअप वैल्यूएशन को चुनौती होगी। स्टार्टअप के लिए नकदी जुटाने का कठिन समय होगा। उन्होंने निवेशकों को चेताया कि लिवरेज दोधारी तलवार है। यह आपको उठा भी सकता है और आपको नीचे धकेल भी सकता है।

उन्होंने कहा, मैनेजमेंट के लिए कॉस्ट कटिंग, डाउनसाइजिंग और नो इंक्रीमेंट/बोनस पर ध्यान देने के साथ कैश फ्लो वापस पाना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। उनके मुताबिक रियल एस्टेट सेक्टर और हाउसिंग सेक्टर भी बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं।


 


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jyoti choudhary

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