चीन की चाल से संकट में भारत! 20000 नौकरियों पर मंडरा रहा खतरा
punjabkesari.in Monday, Jun 23, 2025 - 04:52 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः चीन ने एक बार फिर दुनिया को अपनी सप्लाई चेन पर निर्भरता का एहसास दिला दिया है। इस बार मामला भारत के लिए गंभीर होता जा रहा है। रेयर अर्थ मेटल्स के निर्यात पर चीन की पाबंदी के कारण भारत में मोबाइल, टीवी और ऑडियो डिवाइस निर्माण क्षेत्र संकट में फंस गया है, इसमें काम काम करने वाले करीब 20 हजार कर्मचारियों की नौकरियों पर खतरा मंडराने लगा है। खासकर नोएडा, चेन्नई और पुणे जैसे औद्योगिक शहरों में इसका गहरा असर दिखने लगा है।
चीन ने रोकी सप्लाई, भारत पर असर
चीन ने अप्रैल 2025 से टरबियम और डायप्रोसियम सहित 7 रेयर अर्थ एलीमेंट्स के निर्यात पर नियंत्रण सख्त कर दिए हैं। ये धातुएं विशेष रूप से नियोडिमियम-आयरन-बोरॉन मैग्नेट बनाने में उपयोग होती हैं, जिनका इस्तेमाल स्पीकर, माइक्रोफोन, कैमरा मॉड्यूल और हैप्टिक मोटर्स में होता है।
20,000 नौकरियां खतरे में
इंडस्ट्री विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह संकट लंबा चला, तो 5,000 से 6,000 प्रत्यक्ष नौकरियों के साथ-साथ लगभग 15,000 अप्रत्यक्ष नौकरियां भी खतरे में आ जाएंगी। नोएडा और दक्षिण भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स हब पर इसका सबसे अधिक असर पड़ेगा।
टीवी और ऑडियो प्रोडक्ट होंगे महंगे?
Super Plastronics (JVC, Thomson, Kodak जैसे ब्रांड) के CEO अवनीत सिंह मारवाह का कहना है कि यदि जल्द कोई समाधान नहीं निकला, तो कंपनियों को फेराइट मैग्नेट जैसे विकल्पों की ओर जाना पड़ेगा। इससे साउंड क्वालिटी और डिज़ाइन पर असर पड़ेगा। वर्तमान में कंपनियां कीमतों को स्थिर रखने की कोशिश कर रही हैं लेकिन स्थिति बनी रही तो कीमतों में इजाफा तय है।
घरेलू मैन्युफैक्चरिंग पर खतरा
इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया का कहना है कि यदि रेयर अर्थ की सप्लाई नहीं सुधरी, तो कंपनियों को मजबूरन गैर-निर्मित प्रोडक्ट (Finished Goods) का चीन से आयात करना पड़ सकता है जिससे भारत की मेक इन इंडिया रणनीति को झटका लगेगा।
स्मार्टफोन सेक्टर में सीमित लेकिन अहम असर
हालांकि स्मार्टफोन में रेयर अर्थ मैग्नेट का उपयोग सीमित है, लेकिन कैमरा और साउंड क्वालिटी जैसे प्रमुख फीचर्स इन पर निर्भर करते हैं। इससे उत्पादन लागत में वृद्धि और सप्लाई चेन में रुकावट की आशंका है।