आयकर विभाग का बड़ा कदम, 10,000 कंपनियों और करदाताओं को पुराने मामलों में नोटिस जारी
punjabkesari.in Thursday, Aug 22, 2024 - 03:42 PM (IST)
नई दिल्लीः आयकर विभाग ने देश के प्रमुख शहरों में 10,000 से अधिक कंपनियों और आम करदाताओं को पुराने कर मामलों को दोबारा खोलने के नोटिस जारी किए हैं। ये नोटिस कर निर्धारण वर्ष 2018-19 से संबंधित हैं, जिन्हें 31 अगस्त के बाद दोबारा नहीं खोला जा सकता। विभाग ने इन करदाताओं से पूछा है कि उनकी बताई गई आय और वास्तविक आय में असंगति क्यों है।
प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, इन मामलों में विभाग को 15,000 करोड़ रुपए की अघोषित आय होने का संदेह है। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, पुणे, चेन्नई और हैदराबाद सहित कई प्रमुख शहरों में ऐसे नोटिस भेजे गए हैं। सूत्रों के अनुसार, ये मामले मुख्य रूप से आयकर अधिनियम की धारा 80जी के तहत फर्जी दान या विदेश में संपत्ति खरीद जैसे महंगे सौदों से जुड़े हैं।
एक अधिकारी ने बताया कि फिलहाल नोटिस भेजने की प्रक्रिया चल रही है और सटीक राशि का आकलन करना कठिन है, क्योंकि कई मामले अलग-अलग चरणों में हैं और नोटिस का जवाब मिलने के बाद उनमें बदलाव किया जाता है।
एक नोटिस में कहा गया है कि गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) कमीशन कमाने और अपना कारोबार बढ़ाने के लिए फर्जी दान स्वीकार कर रहे थे। इसके लिए बिचौलियों की सेवाएं ली गईं और दस्तखत किए गए खाली लेटर पैड का उपयोग प्रमाण पत्र जारी करने के लिए किया गया। अधिकांश मामलों में, संस्थाओं या व्यक्तियों की तलाशी या सर्वेक्षण के बाद ये नोटिस भेजे गए हैं। कुछ मामलों में बैंक, वित्तीय संस्थान, आभूषण विक्रेता, रियल एस्टेट कंपनियां आदि से मिली जानकारी के आधार पर नोटिस जारी किए गए हैं। यदि किसी सौदे या लेन-देन का मूल्य तय सीमा से अधिक होता है, तो इन इकाइयों को इसके बारे में कर विभाग को सूचित करना होता है।
एक अधिकारी ने बताया कि पिछले कर निर्धारण वर्षों के अघोषित लेन-देन की पहचान करने में विभाग के डेटा विश्लेषण की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। दोबारा आकलन कानून (धारा 148 और 148ए) के तहत आदेश को अंतिम रूप देने से पहले करदाताओं को अपना पक्ष रखने की अनुमति मिलती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रक्रिया 31 अगस्त के बाद भी जारी रहेगी।
अकाउंटेंसी फर्म चोकसी एंड चोकसी के पार्टनर मितिल चोकसी ने कहा कि आयकर विभाग का यह कदम पिछले वर्षों के मामलों पर पकड़ बनाने की कोशिश है ताकि कर पिछले कर निर्धारण वर्षों तक पहुंच सके। अन्यथा, भविष्य में विभाग ऐसे मामलों की दोबारा जांच नहीं कर पाता। मामला दोबारा खोलने के लिए नोटिस जारी करने से पहले अधिकारी आमतौर पर मामले की गहन जांच-परख करते हैं।