स्टैंट के बाद हार्ट वाल्व हो सकते हैं 50 प्रतिशत सस्ते

punjabkesari.in Friday, Aug 25, 2017 - 07:13 PM (IST)

नई दिल्ली: स्टैंट और घुटना इम्प्लांट के बाद अब हार्ट वाल्व और आंखों के लैंस सहित कई जरूरी मैडीकल डिवाइस की कीमतें 50 प्रतिशत तक कम हो सकती हैं। वहीं दूसरे देशों से इंपोर्ट किए जाने वाले मैडीकल डिवाइस पर इंपोर्ट ड्यूटी मौजूदा 7.5 प्रतिशत से ज्यादा की जा सकती है।

फिलहाल पेशैंट सेफ्टी के साथ ही कंज्यूमर्स और डोमैस्टिक इंडस्ट्री को राहत देने के लिए सरकार अगले 10 दिनों में नया मैडीकल डिवाइस ड्राफ्ट पॉलिसी ले आ सकती है। हार्ट वाल्व और इंट्रा ऑक्यूलर सहित कई जरूरी मैडीकल डिवाइस को प्राइस कंट्रोल के दायरे में लाने की तैयारी है। इससे इनकी कीमतें 50 प्रतिशत तक सस्ती हो सकती हैं। बता दें कि सरकार ने इससे पहले स्टैंट की कीमतें 85 प्रतिशत तक और नी ट्रांसप्लांट की कीमतें 70 प्रतिशत तक घटाई थीं।

इन मैडीकल डिवाइसेज की कीमतें घट सकती हैं
जानकारी के अनुसार नई पॉलिसी का खास फोकस पेशैंट सेफ्टी, इलाज सस्ता करने के साथ ही घरेलू इंडस्ट्री को बढ़ावा देने पर है। जिन मैडीकल डिवाइस की कीमतें सस्ती किए जाने की बात है उनमें हार्ट वाल्व, इंट्रा ऑक्यूलर लैंस, ऑर्थोपैडिक इम्प्लांट, कैथटर, इंटरनल प्रोस्थैटिक रिप्लेसमैंट, डिस्पोजेबल हाइपोडर्मिक नीडल, बोन सीमैंट, सॢजकल ड्रैसिंग, अम्बिलिकल टेप और स्कैल्प वैन सैट जैसे डिवाइस हैं।

पी.एम. मोदी ने भी दिया था संकेत
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ऐसे संकेत दिए थे कि इलाज सस्ता करने के लिए मैडीकल डिवाइस के मामले में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने की योजना है। पी.एम. ने कहा था कि देश में 70 प्रतिशत से ज्यादा मैडीकल डिवाइस विदेश से इंपोर्ट किए जाते हैं। इससे इलाज काफी महंगा पड़ता है। मोदी ने इंपोर्ट पर निर्भरता कम करने की बात कही थी जिससे मरीजों की जेब पर भार कम हो सके।

27 हजार करोड़ से ज्यादा इंपोर्ट कारोबार
लान्सेट की रिपोर्ट के अनुसार देश में मौजूद 80 प्रतिशत मैडीकल डिवाइस दूसरे देशों से मंगवाए गए हैं। भारत में मैडीकल डिवाइस का कुल सालाना कारोबार 35,000 करोड़ रुपए का है जिसमें से 27,000 करोड़ रुपए के मैडीकल डिवाइस दूसरे देशों से इंपोर्ट किए जाते हैं। इंपोर्ट होने वाले मैडीकल डिवाइस में 30 प्रतिशत सैकेंड हैंड होते हैं।  
 


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