UPI लेनदेन पर GST नोटिस, टैक्स विभाग बोला- ''नोटिस अंतिम नहीं, व्यापारी सफाई दें तो रद्द होंगे''
punjabkesari.in Thursday, Jul 24, 2025 - 11:46 AM (IST)

बिजनेस डेस्कः कर्नाटक में छोटे दुकानदारों को यूपीआई लेनदेन के आधार पर भेजे गए जीएसटी नोटिस को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। टैक्स विभाग ने स्पष्ट किया है कि ये नोटिस अंतिम नहीं हैं, बल्कि प्रारंभिक पूछताछ का हिस्सा हैं। विभाग ने कहा है कि जिन व्यापारियों को नोटिस भेजे गए हैं, वे अगर संतोषजनक स्पष्टीकरण देते हैं तो नोटिस रद्द किए जा सकते हैं। इस कार्रवाई से छोटे व्यापारियों में नाराजगी है, वहीं फिनफ्लुएंसर अक्षत श्रीवास्तव ने इसे छोटे व्यवसायों के लिए नुकसानदायक बताया है। उन्होंने कहा कि यह कदम छोटे व्यापारियों के लिए गंभीर मुश्किलें खड़ी कर सकता है, क्योंकि उनके पास हिसाब-किताब और टैक्स अनुपालन के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं होते।
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GST से बढ़ सकते हैं दाम, घट सकती है बिक्री
श्रीवास्तव के अनुसार, यदि छोटे व्यवसाय जीएसटी के तहत पंजीकरण करते हैं, तो उन्हें अपने उत्पादों पर 18% तक कर जोड़ना पड़ सकता है, जिससे उनकी वस्तुएं महंगी हो जाएंगी और ग्राहक कम हो सकते हैं। इससे बिक्री पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
उन्होंने यह भी बताया कि छोटे दुकानदार अक्सर अपने निजी और व्यावसायिक खातों को अलग नहीं रखते, जिससे यूपीआई या बैंक लेन-देन को आय मान लिया जाता है और उस पर जीएसटी लग सकता है। उन्होंने कहा, "छोटे दुकानदारों से इतने जटिल लेखांकन की उम्मीद करना अव्यवहारिक है।"
छोटे दुकानदार लौट रहे कैश की ओर
श्रीवास्तव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “छोटे दुकानदार अब यूपीआई पेमेंट छोड़कर कैश लेन-देन की ओर लौट रहे हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की कार्रवाई छोटे कारोबारियों को टैक्स चोरी के आरोपों में फंसा सकती है, जबकि वे पहले से ही बहुत कम मुनाफे पर काम कर रहे हैं।
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"बड़े व्यापारियों को छोड़, छोटे दुकानदारों पर कार्रवाई क्यों?"
हालांकि श्रीवास्तव ने स्वीकार किया कि कुछ छोटे व्यापारी टैक्स चोरी करते हैं लेकिन उन्होंने सरकारी कार्रवाई की दिशा पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “बड़े उद्योगपति, राजनीतिक दल और आईपीएल जैसे आयोजनों में हजारों करोड़ की गड़बड़ियां होती हैं लेकिन ध्यान छोटे कारोबारियों से सैकड़ों करोड़ वसूलने पर है।”
विभाग की सफाई: अंतिम नोटिस नहीं, सिर्फ पूछताछ
इस मुद्दे पर कर्नाटक वाणिज्यिक कर विभाग ने स्पष्ट किया है कि भेजे गए नोटिस अंतिम मांग नहीं हैं, बल्कि सिर्फ स्पष्टीकरण के लिए हैं। विभाग की संयुक्त आयुक्त मीरा सुरेश पंडित ने बताया कि ये नोटिस उन व्यापारियों को भेजे गए हैं जिनका यूपीआई लेनदेन एक तय सीमा से अधिक है और जो GST के तहत पंजीकृत नहीं हैं।
उन्होंने कहा, “अगर व्यापारी संतोषजनक जवाब देते हैं तो नोटिस रद्द किए जा सकते हैं। यह डेटा केवल प्रारंभिक संकेत है, अंतिम निर्णय नहीं।” पंडित ने व्यापारियों से न घबराने की अपील की है और कहा कि यदि वे विभाग में आकर सफाई देंगे, तो उन्हें नियमों के अनुसार राहत मिल सकती है।