ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए सरकार बना रही नए नियम, सहमति पर ही होगा डेटा साझा
punjabkesari.in Friday, Nov 04, 2022 - 04:02 PM (IST)

नई दिल्लीः सरकार सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने ग्राहकों की व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से पहले उनकी सहमति लेने के लिए कह सकती है। इस कदम का मकसद ग्राहकों की निजता के अधिकारों की सुरक्षा करने और उनके डेटा के दुरुपयोग या अनधिकृत तरीके से उसे साझा करने से रोकना है। उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय डेटा साझा करने पर सहमति लेने और इसे उपभोक्ता सुरक्षा (ई-कॉमर्स) नियमों के तहत क्रियान्वित करने के संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश तैयार करने पर काम कर रहा है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘ई-कॉमर्स कंपनियों को डेटा साझा करने से पहले अपने ग्राहकों की सहमति लेनी होगी या व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा कानून का अनुपालन करना होगा, जिसे इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा नए सिरे से तैयार किया जा रहा है।’ वर्तमान में भारत में व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा से संबंधित कोई कानून नहीं है। आरबीआई जैसे कुछ नियामकों द्वारा व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा के कुछ पहलुओं को लागू किया गया है। आरबीआई ने फिनटेक कंपनियों के लिए डेटा स्थानीयकरण के नियम बनाए हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि ई-कॉमर्स कंपनियों को ग्राहकों से सहमति लेने के लिए प्रौद्योगिकी को उन्नत करना होगा अन्यथा जरूरत पड़ने पर कार्रवाई करने का अधिकार उपभोक्ता के पास होगा। खेतान ऐंड कंपनी में पार्टनर अतुल पांडेय ने कहा कि अगर इस नियम को लागू किया जाता है तो व्यक्तिगत डेटा के दुरुपयोग को रोकने की दिशा में यह अच्छा कदम होगा, खास तौर पर ऐसे समय में जब व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा कानून नहीं है। पांडेय ने कहा, ‘इसके साथ ही कंपनियों को इस अतिरिक्त अनुपालन के लिए तकनीक को उन्नत बनाने पर ज्यादा खर्च करने के लिए तैयार रहना होगा।
सरकार की इसकी जांच कर सकती है कि कंपनियां इस नियम का पालन कर रही हैं या नहीं।’ पिछले साल जून में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने ई-कॉमर्स कंपनियों को सख्त नियामकीय दायरे में लाने और उन्हें ज्यादा जिम्मेदार बनाने तथा ग्राहकों के हितों की सुरक्षा के लिए नए दिशानिर्देश का प्रस्ताव किया था। सरकार ने अगस्त 2021 तक इस पर संबंधित हितधारकों से प्रतिक्रिया मांगी थी।
हालांकि संशोधित नियम अभी तक लागू नहीं हुआ है क्योंकि इसे लेकर उद्योग तथा अन्य सरकारी विभागों की ओर से आपत्ति जताई जा रही है। ई-कॉमर्स कंपनियां एमेजॉन और फ्लिपकार्ट के साथ ही उद्योग के लॉबीइंग करने वाले समूहों ने सरकार को बताया कि इन नियमों से उनके कारोबारी मॉडल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने संबंधित हितधारकों के साथ कई दौर की बैठकें की हैं और अन्य विकसित देशों में लागू सर्वश्रेष्ठ नियमों का अध्ययन भी किया है।
इस साल की शुरुआत में ई-कॉमर्स पर संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया था कि डेटा के उपयोग को लेकर नीति और नियामक ढांचे का अभाव चिंता का सबब है, जिसके परिणामस्वरूप ‘डेटा का दुरुपयोग’ हो सकता है। मुट्ठी भर कंपनियां साथ मिलकर ई-मार्केटप्लेस में प्रतिस्पर्धा को बिगाड़ सकती हैं। समिति ने भी ई-कॉमर्स से जुड़े डेटा के उपयोग और उसे साझा करने को लेकर स्पष्ट दिशानिर्देश की सिफारिश की थी।