वित्त मंत्री सीतारमण का बयान, कहा- सभी बैंकों का नहीं होगा निजीकरण

punjabkesari.in Tuesday, Mar 16, 2021 - 05:21 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण को लेकर सरकार बैंक कर्मचारियों और विपक्ष की लगातार आलोचना झेल रही है। इस निजीकरण के विरोध में सरकारी बैंकों के कर्मचारियों की आज दो दिवसीय हड़ताल का आखिरी दिन है। इस बीच केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सभी बैंकों का निजीकरण तो होगा नहीं, जिनका होगा भी, हम ये सुनिश्चित करेंगे कि लोगों की नौकरी और बाकी हितों का ख्याल रखा जाए। मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक के बाद वित्तमंत्री ने ये बात कही।

यह भी पढ़ें- Bank Strike Impact: पहले दिन 16,500 करोड़ रुपए के चेक क्लीयरेंस समेत कई सेवाओं पर पड़ा असर

वित्त मंत्री सीतामरण ने जवाब दिया कि देश में कुछ बैंक अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। कुछ ठीक-ठाक काम कर रहे हैं लेकिन कुछ बैंक ऐसे भी हैं, जो संकटग्रस्त हैं और ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं। उन्होंने बताया कि हमें ऐसे बैंकों की जरूरत है जो उच्च स्तर के हों। बैंकों का मर्जर भी इसलिए किया जा रहा है ताकि बड़े बैंक निकलें और ग्राहकों की जरूरतों को पूरा कर सकें। 

सभी सरकारी बैंकों का नहीं हो रहा निजीकरण
वित्त मंत्री ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र में भी पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज की मौजूदगी है और रहेगी। सभी सरकारी बैंकों का निजीकरण नहीं हो रहा है। केवल उन बैंकों की पहचान की गई है जो अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं और पूंजी नहीं जुटा पा रहे हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि जिन बैंकों के प्राइवेटाइज होने की संभावना है, उनके साथ हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि वे काम करते रहें और कर्मचारी और ग्राहकों के हितों का पूरा ध्यान रखा जाए। हम उन्हें इसलिए प्राइवेटाइज कर रहे हैं ताकि वे मजबूत हो सकें और ग्राहकों की जरूरतों को पूरा कर सकें। उन्हें इक्विटी हासिल हो सके। 

यह भी पढ़ें- फिर बढ़ने लगी है सोने की चमक, 45 हजार पर आई कीमतें

कर्मचारियों के हितों का रखा जाएगा पूरा ध्यान
सीतारमण ने कहा कि हर बैंक बिक रहा है और प्राइवेट बन जाएगा, यह मान लेना सही नहीं है। सालों से इन बैंकों में काम कर रहे कर्मचारियों के हितों का पूरा ध्यान रखा जाएगा। उनकी सैलरी, स्केल, पेंशन सभी चीजों का ध्यान रखा जाएगा। वित्त मंत्री ने आगे कहा कि सेक्टर चाहे कोई भी हो, विनिवेश वाली हर यूनिट के साथ इस बात का ध्यान रखा जा रहा है कि वे इकोनॉमी में सहयोग कर सकें। संकटग्रस्त यूनिट्स मजबूत होकर काम जारी रख सकें, उनमें पैसा आ सके। वे मजबूत हो सकें, इसलिए उनमें प्राइवेट सेक्टर का निवेश खोला जा रहा है।
 
यह भी पढ़ें- रेलवे भारत की सम्पत्ति, उसका कभी निजीकरण नहीं होगा: पीयूष गोयल 

गौरतलब है कि सरकारी बैंकों को प्राइवेट क्षेत्र को सौंपने के सरकार के कदम के खिलाफ पब्लिक सेक्टर के बैंक दो दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर हैं। पब्लिक सेक्टर के नौ बैंकों की यूनियन, यूनाइडेट फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स ने इस हड़ताल का ऐलान किया है। इस बार बजट में वित्त मंत्री ने ऐलान किया था कि इस साल सरकार दो सरकारी बैंकों और एक इंश्योरेंस कंपनी का निजीकरण करेगी।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टीट्यूशन (डीएफआई) की स्थापना को मंजूरी दे दी है, ये एहसास होने पर कि डीएफआई की स्थापना के लिए विकास और फाइनेंशियल उद्देश्य दोनों मायने रखेंगे। उन्होंने कहा कि डीएफआई लंबी अवधि के फंड जुटाने में मदद करेगा और बजट 2021 प्रारंभिक राशि प्रदान करेगा। इस साल कैपिटल इन्फ्यूजन 20 हजार करोड़ रुपए होगा। प्रारंभिक अनुदान पांच हजार करोड़ रुपए, अतिरिक्त वेतन वृद्धि पांच हजार करोड़ रुपए की सीमा के भीतर की जाएगी।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

jyoti choudhary

Recommended News

Related News