गन्ने के रस से सीधे बनेगी एथेनॉल, सरकार ने दिया आदेश

punjabkesari.in Friday, Jul 27, 2018 - 04:15 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः सरकार ने चीनी मिलों को सीधे गन्ने के रस या बी-श्रेणी के शीरा (बी- मोलासेस) से एथेनॉल बनाने की अनुमति देने के निर्णय को अधिसूचित कर दिया है। इससे चीनी मिलों को चीनी अधिशेष वाले इस वर्ष में राहत मिलेगी। इस संबंध में गन्ना नियंत्रण आदेश 1966 को संशोधित किया गया है और इसे केंद्रीय खाद्य मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किया गया है। इस कदम से अधिशेष वर्षों में (जब गन्ने का अधिक उत्पादन होगा) मिलों को सीधे गन्ने के रस से एथेनॉल का निर्माण करने में मदद मिलेगी।

सरकार ने अधिसूचना में कहा, जब एक चीनी मिल सीधे गन्ने के रस या बी-शीरे से एथेनॉल उत्पादित करती है, तो ऐसे कारखानों के मामले में वसूली दर (रिकवरी रेट) को हर 600 लीटर के मामले में एक टन चीनी के उत्पादन के बराबर माना जाएगा। अभी तक चीनी मिलों को निम्म श्रेणी के शीरे (सी-मोलासेस) से एथेनॉल बनाने की अनुमति थी। गन्ने के रस से चीनी निकालने के बाद यह शीरा बचता है। मोलासेस का उपयोग स्प्रिट और एल्कोहल समेत अन्य उत्पादों को बनाने में होता है। पिछले महीने सरकार ने पहली बार बी श्रेणी के शीरे से उत्पादित एथेनॉल का भी मूल्य तय किया और दिसंबर 2018 से शुरू हो रहे नए सत्र के लिए इसका दाम 47.49 रुपए प्रति लीटर रखा है।

निम्न श्रेणी के शीरे (सी-मोलासेस) से उत्पादित एथेनॉल का भाव 2.85 रुपए बढ़ाकर 43.70 रुपए प्रति लीटर कर दिया है। देश में पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथेनॉल मिलाने को अनिवार्य किया गया है लेकिन पर्याप्त मात्रा में एथनॉल की मौजूदगी नहीं होने से यह 4 प्रतिशत पर सिमट कर रह गया है। एथनॉल की ऊंची कीमत से चीनी मिलें अधिक एथनॉल उत्पादन को प्रोत्साहित होंगी। चीनी मिलों ने दिसंबर 2018 से शुरू होने वाले विपणन वर्ष के दैरान तेल मार्केटिंग कंपनियों को 158 करोड़ लीटर एथनॉल की आपूर्ति करने का अनुबंध किया है। इससे पिछले वर्ष 78.6 करोड़ लीटर एथनॉल की आपूर्ति  की गई थी।


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Supreet Kaur

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