भारत के उद्यमियों को सशक्त बना रहा है मुद्रा लोन, छोटे व्यवसायों के लिए बना आर्थिक संजीवनी

punjabkesari.in Saturday, Apr 19, 2025 - 03:39 PM (IST)

नई दिल्लीः भारत की आर्थिक प्रगति की नींव हमारे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) पर टिकी हुई है। यह क्षेत्र न केवल करोड़ों लोगों को रोजगार देता है, बल्कि जमीनी स्तर पर नवाचार (इनोवेशन) और आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा देता है। भारत सरकार ने इसी विचार को ध्यान में रखते हुए 8 अप्रैल 2015 को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) की शुरुआत की थी। यह योजना छोटे और सूक्ष्म उद्यमों को बिना गारंटी के ऋण (Loan) उपलब्ध कराने की एक ऐतिहासिक पहल है।

मुद्रा लोन: असंगठित क्षेत्र की आर्थिक रीढ़

आज मुद्रा लोन योजना असंगठित और वंचित उद्यमियों के लिए एक महत्वपूर्ण वित्तीय सहारा बन चुकी है। इसका उद्देश्य छोटे व्यापारियों, महिला उद्यमियों, कारीगरों, फेरीवालों और घरेलू उद्योगों जैसे लाखों लोगों को सशक्त बनाना है, जो पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली से अक्सर दूर रह जाते हैं।

अब तक का प्रभाव

2015 से अब तक करोड़ों लोगों को मुद्रा लोन के तहत ऋण मिल चुका है, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग से आने वाले उद्यमी शामिल हैं।

इस योजना के तहत तीन श्रेणियों में ऋण दिए जाते हैं:

  • शिशु: ₹50,000 तक का ऋण (उद्यम की शुरुआत के लिए)
  • किशोर: ₹50,000 से ₹5 लाख तक का ऋण (बिजनेस विस्तार के लिए)
  • तरुण: ₹5 लाख से ₹10 लाख तक का ऋण (स्थायी व्यवसाय को मजबूती देने के लिए)

उद्यमशीलता को मिली नई ऊर्जा

इस योजना के माध्यम से युवाओं को नौकरी ढूंढने वाला नहीं, नौकरी देने वाला बनने की प्रेरणा मिली है। कई छोटे कारोबारी जो पहले पूंजी की कमी से जूझते थे, अब अपनी दुकान, सर्विस यूनिट या निर्माण कार्य को विस्तार दे रहे हैं।

आगे की राह

भारत का सपना है कि वह 2047 तक एक विकसित राष्ट्र (Viksit Bharat) बने। मुद्रा लोन जैसी योजनाएं इस लक्ष्य को हासिल करने में अहम भूमिका निभा रही हैं। हालांकि, इसके समुचित कार्यान्वयन के लिए वित्तीय साक्षरता, बैंकिंग तक पहुंच और टेक्नोलॉजी का सही उपयोग जरूरी है।


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Content Writer

jyoti choudhary

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