ED की बड़ी कार्रवाई: रिलायंस पावर के CFO गिरफ्तार, फर्जी बैंक गारंटी और बिल का मामला
punjabkesari.in Saturday, Oct 11, 2025 - 10:45 AM (IST)

बिजनेस डेस्कः केंद्र सरकार की एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रिलायंस पावर लिमिटेड (RPL) के मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) अशोक कुमार पाल को फर्जी बैंक गारंटी और फंड डाइवर्जन के आरोप में गिरफ्तार किया है। सूत्रों के अनुसार, उन्हें गुरुवार रात दिल्ली स्थित कार्यालय में पूछताछ के बाद हिरासत में लिया गया और शुक्रवार को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत गिरफ्तारी दर्ज की गई।
कंपनी के लिए झटका, अनिल अंबानी पर बढ़ा दबाव
अनिल अंबानी पहले से ही कई वित्तीय चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। ऐसे में उनके करीबी सहयोगी अशोक पाल की गिरफ्तारी कंपनी के लिए एक और बड़ा झटका मानी जा रही है। सूत्रों का कहना है कि हाल के दिनों में ईडी ने अनिल अंबानी को भी पूछताछ के लिए बुलाया था। एजेंसी की जांच के मुताबिक, रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) और रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (RCFL) की ओर से कुल ₹12,524 करोड़ के लोन जारी किए गए थे, जिनमें से अधिकांश अनिल अंबानी समूह से जुड़ी कंपनियों को दिए गए। इनमें से ₹6,931 करोड़ रुपए के लोन को एनपीए (Non-Performing Assets) घोषित किया जा चुका है।
फर्जी बैंक गारंटी घोटाले में सीधी भूमिका
ईडी के मुताबिक, अशोक कुमार पाल ने SECI (Solar Energy Corporation of India) के बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) प्रोजेक्ट के लिए ₹68 करोड़ से अधिक की फर्जी बैंक गारंटी जमा कराई थी। उन्हें कंपनी बोर्ड द्वारा इस प्रोजेक्ट से जुड़ी फाइलों और दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने का अधिकार दिया गया था, जिसका उन्होंने कथित रूप से दुरुपयोग किया।
जांच में सामने आया है कि पाल ने Biswal Tradelink Pvt. Ltd. (BTPL) नामक एक छोटी फर्म के माध्यम से यह फर्जी गारंटी दी। यह कंपनी एक रेजिडेंशियल पते से संचालित होती थी और किसी भी वास्तविक बैंक गारंटी जारी करने की अनुमति नहीं रखती थी। इस फर्म के डायरेक्टर पार्थ सारथी बिस्वाल फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।
नकली बैंकों के ईमेल डोमेन से चल रहा था फर्जीवाड़ा
जांच एजेंसी के अनुसार, पाल ने ऐसे फर्जी बैंक नेटवर्क की मदद ली जो असली बैंकों के समान दिखने वाले ईमेल डोमेन का इस्तेमाल करता था।
उदाहरण के लिए
sbi.co.in की जगह s-bi.co.in और indianbank.in की जगह lndianbank.in जैसे डोमेन बनाए गए।
इसी तरह IndusInd Bank, Punjab National Bank, और Union Bank of India के नाम से मिलते-जुलते डुप्लिकेट डोमेन का उपयोग किया गया ताकि लोगों को यह वास्तविक बैंक लगें।
इतना ही नहीं, पाल पर फर्जी ट्रांसपोर्ट बिलों के जरिये करोड़ों रुपये निकालने और व्हाट्सऐप व टेलीग्राम के माध्यम से फाइलों को मंजूरी देने का भी आरोप है, ताकि आधिकारिक SAP या वेंडर सिस्टम से बाहर रहकर भुगतान कराया जा सके।
निवेशकों के हितों को बड़ा नुकसान
एजेंसी का कहना है कि अशोक कुमार पाल की भूमिका इस पूरे नेटवर्क की योजना, निगरानी और फंडिंग में केंद्रीय रही है। उनकी इस कार्रवाई से न केवल कंपनी की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा है, बल्कि आम निवेशकों के हित भी प्रभावित हुए हैं।