आंकड़ों में राहत के बावजूद जेब हो रही ढीली, सब्जी और चावल के अलावा सब महंगा

punjabkesari.in Tuesday, May 25, 2021 - 01:04 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः बीते अप्रैल महीने में खुदरा महंगाई के आंकड़ों में भले ही कमी आ गई हो लेकिन रसोई में घुस चुकी महंगाई फिलहाल जाने वाली नहीं है। जनवरी से अब तक के आंकड़ों पर नजर डाले तो सब्जियों और चावल के अलावा सभी खाद्य पदार्थ महंगे हो चुके हैं। इसमें भी खाद्य तेल और दालें विशेष रूप से महंगी हो चुकी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इनकी कीमतों में फिलहाल काेई बड़ी राहत मिलने की उम्मीद नहीं है।

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इन चीजों के बढ़े दाम
जनवरी में सरसाें तेल के दाम थोक में 120 से 125 रुपए प्रति किलो थे, जो अब बढ़कर 150 रुपए पर पहुंच गए हैं। थोक में इनके 200 रुपए प्रति किलो तक दाम वसूले जा रहे हैं। सोयाबीन रिफाइंड के थोक दाम भी जनवरी के 120 रुपए प्रति लीटर से बढ़कर 145 रुपए प्रति लीटर हो गए हैं। रिटेल में कीमत और भी ज्यादा है। सनफ्लावर और मूंगफली के दाम भी अधिक हैं। इसी तरह, मूंग के अलावा सभी प्रकार की दालों की कीमतों में भी चार महीनों में अच्छी खासी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। रबी में गेहूं की आवक होती है, इसके बावजूद जनवरी के तुलना में मई में आटे के भाव बढ़ गए हैं। रसोई गैस के दामों में भी बढ़ोतरी हुई है।

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फिलहाल राहत मिलने के आसार नहीं
कमोडिटी एडवाइजरी फर्म केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया कहते हैं, जब भी महामारी का दौर आता है एग्री प्रोडक्ट के दाम बढ़ते हैं। सरसों, सोयाबीन आदि के आवक के सीजन में भी दाम घटने के बजाय बढ़ गए हैं। ऐसे में फिलहाल खाद्य तेलों और दालों की कीमतों में राहत मिलने के आसार नहीं हैं। 

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आयात छूट से भी ज्यादा राहत नहीं मिलेगी, क्योंकि ज्यादातर देशों से शिपिंग समेत लागत अधिक है। अभी तंजानिया से दाल आ रही है लेकिन वह भी पर्याप्त नहीं है। विशेषज्ञों के मुताबिक, सप्लाईचेन बिगड़ने से भी कीमतों को हवा मिल रही है। इसके अलावा, लॉकडाउन के डर से लाेगों द्वारा भंडार बनाने की कोशिशों से भी दाम बढ़े हैं। 


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Content Writer

jyoti choudhary

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